बहुत वर्ष पहले एक दिन मेरे पुत्र और मैं आंगन में पीठ के बल लेटे हुए बादलों को तैरते हुए देख रहे थे l एक ने पूछा, “पिताजी, बादल क्यों तैरते हैं?” “देखो बेटा,” अपने व्यापक ज्ञान का लाभ देने के विचार से मैं बोलना चाहा, किन्तु शांत हो गया l “मैं नहीं जानता,” मैंने मान लिया, “किन्तु मैं तुमको बताऊंगा l”
मुझे उत्तर मिला, कि सघन नमी, भारीपन के कारण, भूमि से उठते गरम तापमान से मिलती है l उसके बाद नमी वाष्प में बदलकर हवा में ऊपर उठती है l यह घटना की स्वाभाविक व्याख्या है l
किन्तु स्वाभाविक व्याख्या अंतिम उत्तर नहीं है l परमेश्वर ने अपनी बुद्धि में प्राकृतिक नियम को इस तरह निर्देशित किया है कि वह “सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्म” प्रगट करता है (अय्यूब 37:16) l तब बादल एक प्रतिक हो सकता है-सृष्टि में परमेश्वर की भलाई और अनुग्रह का दृश्य और प्रगट चिन्ह l
तो किसी दिन जब आप समय निकालकर बादलों में छवि की कल्पना करें, इसे याद रखें : सब खूबसूरत वस्तुओं का बनानेवाला बादलों को हवा में उड़ाता है l वह ऐसा करके हमें आश्चर्य और आराधना में झुकाता है l आसमान-मेघपुंज, फैले हुए बादल, और हलके सफ़ेद बादल-परमेश्वर की महिमा घोषित करते हैं l
सृष्टि संकेतों से भरी है जो सृष्टिकर्ता की ओर इंगित करती हैं l