हाई स्कूल में पढ़ते समय लगभग दो वर्षों तक एक रेस्टोरेंट में काम करने के कुछ हिस्सा कठिन थे l ग्राहक क्रोधित होते थे जबकि मैं सैंडविच में चीज़ के लिए खेदित होती थी जो मैंने नहीं बनाया था l यह काम छोड़कर मैंने एक विश्वविद्यालय में कंप्यूटर कार्य हेतु आवेदन डाली l नियोजक मेरे कंप्यूटर कौशल से अधिक मेरे फ़ास्ट-फ़ूड अनुभव में रूचि ले रहे थे l वे जानना चाहते थे कि मुझे लोगों के साथ बर्ताव करना आता था l अप्रिय स्थितियों में मेरे अनुभव ने मुझे एक बेहतर कार्य के लिए तैयार किया!

युवा दाऊद एक अनुभव में निरंतर दृढ़ रहा जिसे हम बखूबी अरुचिकर कह सकते हैं l गोलियत से लड़ने हेतु इस्राएलियों को एक व्यक्ति चाहिए था l केवल दाऊद आगे आया l राजा शाऊल उसे लड़ने को भेजने में हिचकिचाया, किन्तु दाऊद ने कहा कि एक चरवाहा होकर उसने अपनी भेड़ों के लिए सिंह और भालू से लड़ा था (1 शमूएल 17:34-36) l वह दृढ़तापूर्वक  बोला, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों … से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती … से भी बचाएगा” (पद.37) l

चरवाहा होकर दाऊद ने आदर नहीं कमाया, किन्तु इससे वह गोलियत से लड़ सका और आख़िरकार इस्राएल का महानतम राजा बना l हम कठिन स्थितियों में हो सकते हैं, किन्तु इनके द्वारा परमेश्वर हमें कुछ बड़ी बात के लिए तैयार कर रहा होगा!