मैंने समस्या के संकेत की चेतावनी पर जल की बारीकी से जांच की l मैंने जीवन-रक्षक की छः घंटे की शिफ्ट ड्यूटी में, तरणताल के किनारे से तैरनेवालों की सुरक्षा पर ध्यान देता रहा l अपनी जगह छोड़ना, अथवा अपनी सावधानी में ढीला होना, तरणताल में तैरनेवालों के लिए भयानक परिणाम ला सकता था l किसी तैराक की चोट या कौशल की कमी के कारण उसके डूबने की आशंका में, उसे तरणताल के बाहर निकालना मेरी जिम्मेदारी थी l

पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध में परमेश्वर की सहायता अनुभव करने के बाद (2 शमूएल 21:15-22), दाऊद अपने बचाव की तुलना “गहरे जल” (22:17) में से खींचकर बाहर निकाले जाने से करता है l स्वयं दाऊद का-और उसके लोगों का जीवन-उसके शत्रुओं के गंभीर खतरे में थी l परमेश्वर ने मुसीबत में डूबते हुए दाऊद के जीवन को बाहर निकाल लिया l जबकि तैरनेवालों की सुरक्षा के लिए जीवन-रक्षकों को भुगतान किया जाता है, अपितु, परमेश्वर, दाऊद से प्रसन्न  होकर उसे बचाया ([पद. 20) l मेरा हृदय यह जानकार अति आनंदित है कि परमेश्वर बाध्यता के कारण नहीं किन्तु अपनी इच्छा  से मेरी सुरक्षा करता है l

जीवन की समस्याओं से अभिभूत होने पर, हम इस ज्ञान में विश्राम पा सकते हैं कि परमेश्वर हमारा जीवन-रक्षक है, हमारे संघर्ष को जानता है और, अपनी प्रसन्नता के कारण हमारी सुरक्षा करता है l