1933 के महामंदी में मेरे माता-पिता ने शादी की l मेरी पत्नी और मैं द्वितीय विश्वयुद्ध पश्चात जन्म दर में नाटकीय वृद्धि के समय बच्चा जन्म दर वृद्धि काल में जन्में l 70 और 80 के दशक में जन्मीं हमारी चार बेटियाँ, पीढ़ी X और Y की हैं l इन भिन्न समयों में बढ़ने के कारण अनेक बातों में परस्पर मतभिन्नता चकित करनेवाली बात नहीं!
पीढ़ियाँ अपने जीवन अनुभवों और मान्यताओं में बेहद भिन्न होती हैं l और यह मसीह के अनुगामियों में सच है l किन्तु हमारी भिन्नताओं के बावजूद, हमारा आत्मिक संपर्क सुदृढ़ है l
परमेश्वर का स्तुति गीत, भजन 145, हमारा विश्वास बंध घोषित करता है l “तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, पीढ़ी पीढ़ी होता चला जाएगा … लोग तेरी बड़ी भलाई [की] … चर्चा करेंगे” (पद.4,7) l उम्र और अनुभव की बड़ी भिन्नता में, हम प्रभु का आदर करते हैं l वे तेरे राज्य की महिमा … और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे” (पद.11) l
जबकि भिन्नता और प्राथमिकताएँ हमें विभाजित करेंगी, यीशु मसीह में सहभाजी विश्वास हमें आपसी भरोसा, उत्साह, और प्रशंसा में एक करेगा l हमारी उम्र और दृष्टिकोण कुछ भी हो, हमें परस्पर ज़रूरत है l हम किसी भी पीढ़ी के हों, हम परस्पर सीखकर प्रभु का आदर करते हैं-“कि वे आदमियों पर तेरे पराक्रम के काम और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें” (पद.12) l
परमेश्वर का राज्य सभी पीढ़ियों में जीवित और क्रियाशील है l