65 करोड़ l वर्तमान में हमारे संसार में शरणार्थियों की संख्या इतनी है अर्थात् लोग जो लड़ाई और उत्पीड़न के कारण बेघर हो गए और यह संख्या पिछले समयों से कहीं अधिक है l संयुक्त राष्ट्र ने अगुओं से सिफारिश की है कि शरणार्थी स्वीकार किये जाएं ताकि हर एक बच्चा शिक्षा पा सके, हर एक व्यस्क को काम मिल सके, और हर एक परिवार के पास घर हो l

संकट में रह रहे शरणार्थियों के लिए घर बनाने का सपना मुझे परमेश्वर द्वारा यहूदा राष्ट्र को दी गयी प्रतिज्ञा याद दिलाती है जब अश्शूरी सेना ने उनके घरों को उजाड़ने की धमकी दी थी l परमेश्वर ने नबी मीका द्वारा अपने लोगों को चेतावनी दी कि वे अपना मंदिर और प्रिय नगर यरूशलेम खो देंगे l किन्तु परमेश्वर ने उनको हानि से परे एक सुन्दर भविष्य देने की भी प्रतिज्ञा की l

मीका ने कहा, “एक दिन आएगा जब परमेश्वर अपने लोगों को अपने निकट बुलाएगा l हिंसा का अंत होगा l हथियार खेती करने के औज़ार बन जाएंगे, और परमेश्वर की बात सुननेवाला हर एक व्यक्ति के पास एक शांतिमय घर होगा और उसके राज्य में एक फलवन्त जीवन (4:3-4) l

वर्तमान संसार में आज बहुतों के लिए, और शायद आपके लिए भी, एक सुरक्षित घर सच्चाई से अधिक एक सपना हो सकता है l किन्तु हम, सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए एक घर सम्बन्धी परमेश्वर की उस पुरानी प्रतिज्ञा पर भरोसा कर सकते हैं, जब हम उन शांतिमय घरों के सच्चाई में बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं l