मेरी इच्छानुसार न होने पर अपने पति पर हानिकारक शब्दों से वार करने के बाद, मैंने पवित्र आत्मा के अधिकार का अपमान किया जब उसने बाइबिल पदों से मेरे पापी आचरण को उजागर किया l क्या मेरा अड़ियल घमण्ड मेरे विवाह में सम्बंधित हानि अथवा परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी होने के लायक था? बिल्कुल नहीं l किन्तु प्रभु और अपने पति से क्षमा मांगने से पूर्व मैंने अपने पीछे जख्में छोड़ी थीं अर्थात् बुद्धिमान सलाह की अवहेलना और केवल खुद के प्रति जवाबदेह होने का परिणाम l
एक समय इस्राएली विद्रोही थे l मूसा की मृत्यु बाद, यहोशू इस्राएलियों को प्रतिज्ञात देश में ले चला l उसकी अगुवाई में इस्राएलियों ने परमेश्वर की सेवा की (न्यायियों 2:7) l किन्तु यहोशू और उसकी पीढ़ी की मृत्यु बाद, अगली पीढ़ी के लोग परमेश्वर और उसके काम को भूल गए (पद.10) l उन्होंने ईश्वर की अगुवाई को त्यागकर पाप को गले लगाया (पद.11-15) l
परमेश्वर द्वारा राजा की तरह काम करनेवाले न्यायी खड़ा करने के बाद, स्थिति में सुधार आया (पद.16-18), l किन्तु प्रत्येक न्यायी की मृत्यु बाद, इस्राएलियों ने परमेश्वर का विरोध किया l उन्होंने केवल खुद के प्रति जवाबदेही का जीवन जीकर, हानिकारक परिणाम भुगता (पद.19-22) l किन्तु यह हमारी असलियत न हो l हम खुद को अनंत शासक यीशु के बड़े अधिकार के आधीन कर सकते हैं जिसके पीछे चलने के लिए हम बनाए गए हैं, क्योंकि वह हमारा जीवित न्यायी और राजाओं का राजा है l
परमेश्वर हमें उसके तरीके से कार्य करने की सामर्थ्य और सुअवसर देकर
परिणाम का आनंद लेने देता है l