विश्व-प्रसिद्ध वायलिन वादक, जोशुआ बेल, चालीस सद्सीय चैम्बर ऑर्केस्ट्रा, अकादमी ऑफ़ सैंट मार्टिन इन द फ़ील्ड्स, का निर्देशन अनोखे तौर से करते हैं l छड़ी से इशारा करने की बजाए वे अपने इतालवी वायलिन को दूसरे वायलिन वादकों के साथ बजाते हुए निर्देशन देते हैं l बेल ने कोलोराडो पब्लिक रेडियो से कहा, “ वायलिन बजाते हुए मैं उस वक्त उनके समझने लायक सब प्रकार के निर्देशन और संकेत दे सकता हूँ l वे मेरे वायलिन के प्रत्येक झुकाव को जानते हैं, या मेरे भौं के ऊपर उठाने को, या जिस तरह मैं अपने को धनुष के रूप में झुकाता हूँ l वे जानते हैं कि मैं पूरे ऑर्केस्ट्रा से कैसी आवाज़ चाहता हूँ l”
जिस तरह ऑर्केस्ट्रा के सदस्य जोशुआ बेल पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, बाइबिल हमें हमारे प्रभु यीशु पर अपनी निगाहें रखने को कहती है l इब्रानियों 11 में विश्वास के अनेक नायकों की सूची के बाद, लेखक कहता है, “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें, और विश्वास के करता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें” (इब्रा.12:1-2) l
यीशु ने प्रतिज्ञा की, “मैं जगत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20) l क्योंकि वह है, उसके हमारे जीवन के संगीत का निर्देशन करते समय हमारे पास उसकी ओर देखने का अद्भुत सुअवसर है l
हम अपनी आँखें यीशु हमारे उद्धारकर्ता पर लगाएं रखें
जब वह हमारे जीवनों को निर्देशित करता हैं l