“उसका टुकड़ा मेरे से बड़ा है!”

बचपन में घर में बनी मिठाई के टुकड़े माँ से मिलने पर हम भाई एक दूसरे से लड़ते थे l एक दिन पिता ने अपनी भौंवें चढ़ाकर हमारे हरकत देखे, और अपना प्लेट उठाकर माँ को देखकर मुस्कराए : “कृपया मुझे अपने हृदय के बराबर टुकड़ा दो l” हम दोने भाई हैरान होकर  माँ को हँसते हुए उनको सबसे बड़ा टुकड़ा देते हुए देखा l

परायी सम्पत्ति पर ध्यान देने से बहुत बार ईर्ष्या होती है l फिर भी परमेश्वर का वचन हमारे ध्यान को सांसारिक सम्पत्ति से कुछ अधिक मूल्यवान पर ले जाता है l भजनकार लिखता है, “यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है l मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है” (भजन 119:57-58) l पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर लेखक ने सच्चाई बतायी कि परमेश्वर के निकट रहना सबसे महत्वपूर्ण है l    

हमारे प्रेमी और असीम सृष्टिकर्ता से अधिक हमारा बेहतर भाग और क्या हो सकता है? संसार की किसी वस्तु से उसकी तुलना नहीं, और कुछ भी उसे हमसे छीन नहीं सकता l मानवीय इच्छा बड़ा खालीपन है; किसी के पास संसार का “सब कुछ” हो सकता है  और फिर भी अभागा l किन्तु जब परमेश्वर हमारा आनंद है, हम वास्तव में संतुष्ट हैं l हमारे अन्दर एक खाली स्थान है जिसे केवल परमेश्वर ही भर सकता है l वही हमारे हृदयों में अनुकूल शांति दे सकता है l