मेरे पुत्र के नशीले पदार्थों से संघर्ष करते समय, मुझे विश्वास करने में कठिनाई होती थी कि एक दिन परमेश्वर हमारे अनुभुव द्वारा संघर्ष करनेवालों को उत्साहित करेगा l परमेश्वर के पास कठिन परिस्थितियों से भलाई निकालने का तरीका है जो उस समय देखना कठिन है जब हम उसमें होते हैं l

प्रेरित थोमा को भी परमेश्वर से अपने विश्वास की महानतम चुनौती अर्थात् यीशु के  क्रूसीकरण से कुछ भलाई निकलने की आशा न थी l  अपने पुनरुत्थान के बाद जब यीशु शिष्यों से मिलने आया थोमा वहाँ नहीं था, और अपने गहरे दुःख में दृढ़ता से बोला, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ, और कीलों के छेदों में अपनी ऊँगली न डाल लूँ, … मैं विश्वास नहीं करूँगा” (यूहन्ना 20:25) l किन्तु बाद में, जब यीशु सभी शिष्यों के पास आया, परमेश्वर का आत्मा थोमा के शक से विश्वास का एक असाधारण कथन निकलने दिया l थोमा चिल्लाया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!” (पद.28), वह इस सच्चाई को स्वीकार रहा था कि यीशु देह में परमेश्वर है, जो उसके सामने खड़ा है l यह विश्वास का एक दृढ़ कथन जो आनेवाले हर एक शताब्दी में विश्वासियों को उत्साहित करनेवाला था l

ऐसे क्षणों में भी जब हम कम आशा करते हैं, परमेश्वर हमारे हृदयों में नया विश्वास उत्पन्न कर सकता है l हम सदैव उसकी विश्वासयोग्यता की आशा कर सकते हैं l उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है!