अमूल्य आराधना
मैं लेखन को परमेश्वर की आराधना और सेवा मानती हूँ, जबकि इससे अधिक कि अब मेरा स्वास्थ्य मेरा चलना-फिरना सीमित कर दिया है l इसलिए, जब एक परिचित को मेरा लेखन महत्वहीन लगा, मैं निराश हुयी l मैंने परमेश्वर के लिए अपने छोटे भेंट के महत्त्व पर शक किया l
प्रार्थना, वचन अध्ययन, और मेरे पति, परिवार, और मित्रों के प्रोत्साहन द्वारा ही, प्रभु पुष्टि करता है कि केवल वह-दूसरों के दृष्टिकोण नहीं-एक उपासक के रूप में हमारी मंशा और उसके प्रति हमारी भेंट का मूल्य तय करता है l मैंने सर्वोत्तम दाता से अपने कौशल को विकसित करने और प्राप्त श्रोतों को बांटने हेतु अवसर देने को कहा l
यीशु ने हमारे देने के मापदंड का विरोध किया (मरकुस 12:41-44) l जब धनी लोग मंदिर के खजाने में बहुत अधिक पैसे डाल रहे थे, एक विधवा ने “दो दमड़ियाँ ...डाली” (पद.42) l प्रभु ने उसके दान को श्रेष्ठ माना (पद.43), यद्यपि उसका सहयोग उसके चारों ओर के लोगों से महत्वहीन दिखाई दिया (पद.44) l
यद्यपि विधवा की कहानी पैसे के दान पर केन्द्रित है, देने का हर कार्य आराधना और प्रेममय आज्ञाकारिता का एक ढंग हो सकता है l विधवा की तरह, हम परमेश्वर के दिए हुए में से जानबूझकर, उदार, और बलिदानी दान द्वारा उसका आदर करते हैं l हम परमेश्वर के प्रेम से प्रेरित हृदयों द्वारा अपना सर्वोत्तम समय, और योग्यताएँ देकर, उसे अमूल्य आराधना का भेंट चढ़ाते हैं l
अकेले न दौड़ें
मेरे पति जैक, अपनी दौड़ में 26 में से 25 वें मील पर थे जब उनकी शक्ति जवाब दे गयी l
यह उनकी प्रथम लम्बी दौड़ थी, और वे अकेले दौड़ रहे थे l एक सहायता के स्थान पर वे पानी के लिए रूककर, थकित महसूस करते हुए मार्ग के किनारे घास पर बैठ गए l कुछ क्षण बाद, वे उठ नहीं सके l उन्होंने दौड़ से हटना चाहा किन्तु उसी समय केन्टकी की दो अधेड़ स्कूल शिक्षिकाएं उसके निकट आयीं l यद्यपि अपरिचित, उन्होंने जैक को अपने साथ दौड़ने को कहा l अचानक उनकी शक्ति लौट आई l जैक ने उठकर उन दोनों के साथ दौड़कर दौड़ पूरी की l
जैक को उत्साहित करनेवाली दो महिलाएँ मुझे, एक महत्वपूर्ण समय में, इस्राएलियों के अगुआ, मूसा की सहायता करनेवाले दो मित्र, हारून और हूर की याद दिलाते हैं (निर्ग. 17:8-13) l इस्रालियों पर आक्रमण हो रहे थे l मूसा के अपने हाथ खड़े रखने पर ही वे जीतते थे (पद.11) l इसलिए मूसा के हाथ थकने पर, हारून और हूर उसके दोनों ओर खड़े होकर सूर्यास्त तक उसकी बाहें ऊपर की ओर थामें रहे (पद.12) l
परमेश्वर के पीछे चलना अकेले का प्रयास नहीं है l उसने हमें जीवन की दौड़ अकेले दौड़ने हेतु नहीं बुलाया है l सहयोगी हमें परमेश्वर की इच्छापूर्ति में कठिनाई के समय भी धीरज धरने में सहायता करते हैं l
परमेश्वर, आपका अनुसरण करने में उत्साहित करनेवाले संबंधों के लिए धन्यवाद l दूसरों के लिए भी, शक्ति का श्रोत बनने में आप मेरी मदद करें l
परमेश्वर कुछ नया करता है
हाल ही में एक समूह में भागीदारी करते समय अगुए ने प्रश्न किया “क्या परमेश्वर आपके जीवन में कुछ नया कर रहा है?” कुछ कठिन स्थितियों से जूझ रही मेरी सहेली, मिंडी ने उत्तर दिया l उसने अपने वृद्ध माता-पिता के साथ धीरज, अपने अस्वस्थ पति के लिए ताकत, और बच्चों की समझ शक्ति और नाती-पोतों के विषय बताया जिन्होंने यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण नहीं किया था l तब उसने हमारी स्वाभाविक सोच के विपरीत गहरी पहुँच वाली टिप्पणी की : “मैं मानती हूँ परमेश्वर मेरे प्रेम करने और अवसर की सीमा को बढ़ाने का नया कार्य कर रहा है l”
थिस्सलुनीके के नए विश्वासियों के लिए पौलुस की प्रार्थना यहाँ ठीक बैठती है : “तुम्हारा प्रेम भी आपस में और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए” (1 थिस्स. 3:12) l उसने उनको यीशु के विषय शिक्षा दी थी किन्तु दंगे के कारण उसे अचानक जाना पड़ा था (प्रेरितों 17:1-9) l अब अपनी पत्री में वह उनको अपने विश्वास में स्थिर रहने को कहा (1 थिस्स. 3:7-8) l और उसकी प्रार्थना थी कि प्रभु उनके प्रेम को सबके लिए बढ़ाए l
कठिनाईयों में हम अक्सर शिकायत करते और पूछते हैं, “क्यों? या सोचते है, मैं क्यों? ऐसी स्थितियों में दूसरों से प्रेम करने के नए अवसरों के लिए प्रभु से प्रेम को बढ़ाने और सहायता करने की ताकत मांगे l