मेरे पति जैक, अपनी दौड़ में 26 में से 25 वें मील पर थे जब उनकी शक्ति जवाब दे गयी l

यह उनकी प्रथम लम्बी दौड़ थी, और वे अकेले दौड़ रहे थे l एक सहायता के स्थान पर वे पानी के लिए रूककर, थकित महसूस करते हुए मार्ग के किनारे घास पर बैठ गए l कुछ क्षण बाद, वे उठ नहीं सके l उन्होंने दौड़ से हटना चाहा किन्तु उसी समय  केन्टकी की दो अधेड़ स्कूल शिक्षिकाएं उसके निकट आयीं l यद्यपि अपरिचित, उन्होंने जैक को अपने साथ दौड़ने को कहा l अचानक उनकी शक्ति लौट आई l जैक ने उठकर उन दोनों के साथ दौड़कर दौड़ पूरी की l

जैक को उत्साहित करनेवाली दो महिलाएँ मुझे, एक महत्वपूर्ण समय में, इस्राएलियों के अगुआ, मूसा की सहायता करनेवाले दो मित्र, हारून और हूर की याद दिलाते हैं (निर्ग. 17:8-13) l इस्रालियों पर आक्रमण हो रहे थे l मूसा के अपने हाथ खड़े रखने पर ही वे जीतते थे (पद.11) l इसलिए मूसा के हाथ थकने पर, हारून और हूर उसके दोनों ओर खड़े होकर सूर्यास्त तक उसकी बाहें ऊपर की ओर थामें रहे (पद.12) l

परमेश्वर के पीछे चलना अकेले का प्रयास नहीं है l उसने हमें जीवन की दौड़ अकेले दौड़ने हेतु नहीं बुलाया है l सहयोगी हमें परमेश्वर की इच्छापूर्ति में कठिनाई के समय भी धीरज धरने में सहायता करते हैं l

परमेश्वर, आपका अनुसरण करने में उत्साहित करनेवाले संबंधों के लिए धन्यवाद l दूसरों के लिए भी, शक्ति का श्रोत बनने में आप मेरी मदद करें l