विवाह के बाद मैंने सोचा कि मेरे शीघ्र बच्चे होंगे l ऐसा नहीं होने की पीड़ा के कारण मैं प्रार्थना करने लगी l मैंने अक्सर परमेश्वर को पुकारा, “कब तक?” मैं जानती थी कि परमेश्वर मेरी अवस्था को बदल सकता है l क्यों नहीं वह बदल रहा था?”

क्या आप परमेश्वर के लिए ठहरे हैं? क्या आप पूछ रहे हैं, कब तक, प्रभु, इससे पूर्व कि न्याय इस पृथ्वी पर आ जाए? कैंसर के इलाज से पूर्व? मेरे कर्ज से निकलने से पूर्व?

हबक्कूक नबी इन भावनाओं से परिचित था l ई.पू. सातवीं शताब्दी में, उसने प्रभु को पुकारा : “हे यहोवा, मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूँगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख ‘उपद्रव,’ उपद्रव’ चिल्लाता रहूँगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा? (हबक्कूक 1:2-3) l वह लम्बे समय तक प्रार्थना और संघर्ष करता रहा कि किस तरह एक सामर्थी परमेश्वर दुष्टता, अन्याय, और भ्रष्टाचार को यहूदा में जारी रहने दे सकता है l जहाँ तक हबक्कूक का ख्याल था, परमेश्वर को हस्तक्षेप कर देना चाहिए था l क्यों नहीं परमेश्वर कुछ कर रहा था?

ऐसे दिन होते हैं जब हम सोचते हैं जैसे परमेश्वर निष्क्रिय है l हबक्कूक की तरह, हमने लगातार परमेश्वर से पुछा है, “कब तक?”

फिर भी, हम अकेले नहीं हैं l हबक्कूक की तरह, परमेश्वर हमारी भी सुनता है l हम निरंतर उनको परमेश्वर पर डालें l परमेश्वर हमारी सुनता है, और अपने समय में उत्तर देगा l