मैंने पीनट(कार्टून) के रचयिता, चार्ल्स शुलत्ज़ के ज्ञान और अंतर्दृष्टि का हमेशा आनंद उठाया है l चर्च के युवाओं के विषय एक पुस्तक में मेरा एक सबसे पसंदीदा कार्टून दिखाई दिया l उसमें एक युवा अपने हाथों में बाइबिल लिए हुए फोन पर अपने मित्र से बोल रहा था, “मेरी समझ में मैंने पुराने नियम के रहस्यों को समझने में प्रथम कदम बढ़ाया है … मैंने पढ़ना शुरू कर दिया है!” (किशोर होना एक बीमारी नहीं है) l
प्रतिदिन परमेश्वर के वचन की शक्ति को समझने और अनुभव करने की लेखक की भूख भजन 119 में दिखाई देती है l “आहा! मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है” (पद.97) l यह उत्साही प्रयास बढ़ती बुद्धिमान, समझ, और परमेश्वर की आज्ञाकारिता की ओर ले जाती है (पद. 98-100) l
बाइबिल अपने पन्नों में “रहस्यों को सुलझाने” का कोई जादुई सूत्र नहीं बताती है l प्रक्रिया मानसिक से परे है और जो हम पढ़ते हैं उसके प्रति उत्तर मांगती है l यद्यपि हमारे लिए कुछ एक परिच्छेद पेचीदा होंगे, हम उन सच्चाइयों को अपना कर जिन्हें हमने समझ लिया है, प्रभु से कहें, “तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ, इसलिए मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ” (पद.103-104) l
परमेश्वर के वचन में खोज की एक अद्भुत यात्रा हमारा इंतज़ार कर रही है l
परमेश्वर के वचन को पढ़ने और उस पर चलने के समर्पण से उसके प्रेम और सामर्थ्य को जानने की दैनिक यात्रा आरम्भ होती है l