हम पति-पत्नी, मसीह को जीवन समर्पित करने से पहले तलाक लेना चाहते थे l  किन्तु प्रेम के प्रति समर्पण और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता के बाद, हमने एक दूसरे के प्रति पूर्णः समर्पण किया l हमने बुद्धिमान सलाह प्राप्त करके पवित्र आत्मा से व्यक्तिगत तौर पर और पति-पत्नी के रूप में हमें रूपांतरित करने को निमंत्रित किया l हमारा स्वर्गिक पिता स्वस्थ संवाद निपुणता विकसित करने में निरंतर हमारी मदद करता है l वह हमें हर परिस्थिति में उस पर और एक दूसरे पर प्रेम और भरोसा करना सिखा रहा है l

फिर भी, विवाह की पच्चीसवाँ वर्षगांठ मनाने की तैयारी में, मैं कभी-कभी वह सब कुछ भूल जाती हूँ जो परमेश्वर ने हमारे आजमाइशों में और उसके द्वारा किया है l कभी-कभी मैं परमेश्वर की पिछली उपलब्धियों पर भरोसा न करके, अज्ञात के प्रति छिपे भय से संघर्ष करते हुए व्यर्थ चिंता अनुभव करती हूँ l

व्यवस्थाविवरण 1 में, मूसा ने प्रभु की विश्वासयोग्यता की पुष्टि करता है l उसने इस्राएलियों से विश्वास में आगे बढ़ने को कहा ताकि वे विरासत का आनंद उठा सकें (पद.21) l किन्तु परमेश्वर के लोगों ने भविष्य के लिए उस पर भरोसा करने सम्बन्धी सारा विवरण माँगा (पद.22-33) l

मसीह के विश्वासी भय अथवा चिंता के अधीन होने के प्रति प्रभावशून्य नहीं हैं l कठिनाईयों से सामना करने अथवा न करने की चिंता हमें हमारे विश्वास पर निर्भर रहने से रोक सकती है, और परमेश्वर और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को हानि पहुँचा सकती है l किन्तु पवित्र आत्मा प्रभु की पिछली विश्वासयोग्यता का हिसाब रखने में हमारी मदद कर सकता है l वह हमें कल, आज, और कल परमेश्वर की विश्वासयोग्यता में साहसिक भरोसा उत्पन्न कर सकता है l