क्रिसमस से एक सप्ताह पहले, यानि कि मेरी माँ की मृत्यु के दो महीने बाद, छुट्टियों में खरीददारी और घर सजाना मेरी वरीयता सूची में सबसे नीचे थे l मैंने अपने पति द्वारा मुझे शांति देने के प्रयासों का विरोध किया क्योंकि हमारे परिवार की विश्वासी कुलमाता की मृत्यु से मैं अत्यंत दुखी थी l मैं बहुत उदास थी, जब मेरा बेटा, ज़ेवियर हमारे घर के अन्दर क्रिसमस की बत्तियाँ सजा रहा था l बिना कुछ कहे, अपने पिता के साथ कुछ और काम करने से पहले, उसने बत्तियाँ जला दी l  

जैसे ही बत्तियाँ जगमगाने लगीं, परमेश्वर ने धीरे से मुझे अन्धकार से बाहर निकाल दिया l चाहे परिस्थितियाँ जितनी भी दुखद हों, मेरी आशा परमेश्वर की सच्चाई की ज्योति में सुरक्षित थी, जो हमेशा उसके अटल चरित्र को प्रगट करता है l

उस कठिन सुबह के समय परमेश्वर ने जो मुझे याद दिलाया, भजन 146 उसकी पुष्टि करता है : मेरी अनंत आशा “परमेश्वर यहोवा पर है,” जो मेरा सहायक, मेरा सर्वशक्तिमान और करुणामय परमेश्वर है (पद.5) l सबका सृष्टिकर्ता होने के कारण, वह “अपना वचन सदा के लिए पूरा करता रहेगा” (पद.6) l वह “पिसे हुओं का न्याय चुकाता है, और भूखों को रोटी देता है” (पद.7) l “यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है” (पद.8) l वह “रक्षा करता है,” “संभालता है” और …, “पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा” (पद.9-10) l

कभी-कभी, क्रिसमस के दिनों में, हमारे दिन बहुत ही आनंद भरे होंगे l कभी-कभी, हमें हानि होगी, हम दुःख का अनुभव करेंगे, अथवा अकेलापन महसूस करेंगे l किन्तु परमेश्वर हमेशा अन्धकार में ज्योति बनने की और वास्तविक सहायता और अनंत आशा देने की प्रतिज्ञा की है l