जोसफ मोर और फ्रान्ज़ ग्रूबर द्वारा लोकप्रिय क्रिसमस गीत “धन्य रात, ”लिखे जाने से बहुत पहले एन्जलस सैलेसियास ने एक कविता लिखी थी :
देखो! रात के अँधेरे में परमेश्वर का बेटा जन्मा है,
और सब खोया हुआ और त्यागा हुआ बचा लिया गया l
ओ मानव क्या तुम्हारी आत्मा एक धन्य रात बन सकती है,
परमेश्वर तुम्हारे मन में जन्म लेकर सब कुछ ठीक कर देगा l
पोलैंड का एक सन्यासी, सैलेसियास ने 1657 में यह कविता चेरुबिक पिलग्रिम (लघु कविताओं का संग्रह) में प्रकाशित किया l हमारे चर्च के वार्षिक क्रिसमस आराधना में, संगीत मण्डली ने “काश आपकी आत्मा धन्य रात बन जाए,” गीत का दूसरा रूप गाया l
क्रिसमस का दोहरा रहस्य यह है कि परमेश्वर हममें से एक के समान बन गया कि हम उसके साथ एक हो जाएँ l यीशु ने हमें सही बनाने के लिए सभी अन्याय सहे l इसलिए प्रेरित पौलुस लिख सका, “इसलिए यदि कोई मसीह में है तो वह नयी सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गयी हैं; देखो, सब बातें नयी हो गयी हैं” (2 कुरिं. 5:17-18) l
चाहे हमारे क्रिसमस में परिवार के लोगों और मित्रों की उपस्थिति हो या न हो, जिसकी हम इच्छा करते हैं, किन्तु हम जानते हैं कि यीशु हमारे लिए जन्म लिया l
अहा, काश आपका हृदय उसके जन्म के लिए एक चरनी होता,
परमेश्वर एक बार फिर इस धरती पर एक बच्चे के रूप में जन्म लेता l
परमेश्वर हममें से एक के सामान बन गया कि हम उसके साथ एक हो जाएँ l