“मसीह हमारे साथ,  मसीह हमारे आगे, मसीह हमारे पीछे, मसीह हमारे अन्दर, मसीह हमारे नीचे, मसीह हमारे ऊपर, मसीह हमारे दाहिने, मसीह हमारे बाएँ … l” यीशु के जन्म के विषय मत्ती का वर्णन पढ़ते समय मुझे, पांचवी शताब्दी के केल्ट मसीही (यूरोपीय लोगों का एक सदस्य जो किसी समय ब्रिटेन और स्पेन और गौल में रहते थे) संत पैट्रिक द्वारा लिखे हुए इस गीत के शब्द याद आते हैं l मैं महसूस करता हूँ जैसे कोई मुझे गले लगा रहा है और याद दिला रहा है कि मैं कभी भी अकेला नहीं हूँ l

मत्ती का वर्णन हमें बताता है कि परमेश्वर का अपने लोगों के बीच निवास करना ही क्रिसमस का केंद्र है l यशायाह का एक बालक के विषय नबूवत का सन्दर्भ देते हुए जो इम्मानुएल, अर्थात् “परमेश्वर हमारे साथ” कहलाएगा(यशायाह 7:14), मत्ती नबूवत की अंतिम पूर्णता बताता है अर्थात् यीशु, जो पवित्र आत्मा की सामर्थ से जन्म लेकर परमेश्वर हमारे साथ निवास किया l इस सच्चाई की विशेषता इस बात में है कि मत्ती इसी से अपने सुसमाचार का   आरंभ और अंत करते हुए यीशु द्वारा अपने शिष्यों को कहे शब्दों से समाप्त करता है : “और देखो, मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20) l

संत पैट्रिक का गीत मुझे याद दिलाता है कि मसीह हमेशा अपनी आत्मा के द्वारा हममें बसते हुए हमारे साथ है l जब मैं घबराता या भयभीत होता हूँ, मैं उसकी प्रतिज्ञाओं को थामें रह सकता हूँ क्यों वह मुझे कभी नहीं छोड़ेगा l जब मैं बेखबर सो रहा होता हूँ, मैं उसकी शांति पर भरोसा कर सकता हूँ l जब मैं उत्सव मनाता हूँ और आनंदित होता हूँ, मैं अपने जीवन में उसके अनुग्रहकारी कार्य के लिए धन्यवाद दे सकता हूँ l

यीशु, इम्मानुएल – परमेश्वर हमारे साथ l