बचपन में रविवार की संध्या में होने वाली कलीसिया की सभा बहुत रोमांचक होती थी। इसमें प्रायः परिवारों, मित्रों और घर और व्यवसाए आदि को छोड़कर परमेश्वर की सेवा करने वाले मिशनरी आकर प्रेरणादायक सन्देश देते थे।

एलीशा ने भी परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए बहुत कुछ छोड़ा था। जब एल्लियाह नबी की उनसे भेंट हुई तब वह खेत में हल जोत रहे थे, उन्होंने अपने चौगे को एलीशा के कंधों पर डाल दिया (जो नबी के रूप में उनकी भूमिका का प्रतीक था) और उन्हें अपने पीछे हो लेने को कहा। माता और पिता को चूमकर विदा लेने के मात्र एक ही आवेदन के साथ एलीशा ने तुरंत अपने बैलों की बलि चढ़ाई और हल को जलाकर और अपने माता पिता से विदा लेकर उनके पीछे हो लिए।

हम में से अनेकों को अपने परिवारों और मित्रों को छोड़कर पूर्णकालिक रूप से परमेश्वर की सेवा की बुलाहट नहीं मिली है। तो भी परमेश्वर की इच्छा है कि हम सब विश्वासी के समान जैसे परमेश्वर ने [हमें] बुलाया है और जैसी भी स्थिति प्रभु ने [हमें] सौंपी है उसमें उनका अनुसरण करें।(1 कुरिन्थियों 7:17) परमेश्वर की सेवा रोमांच और चुनौतियों से भरा हो सकता है फिर चाहे हम कहीं भी हों-चाहे हम अपने घर भी ना छोड़ें।