हमारे शहर के लोग भूस्खलन आधीन क्षेत्रों में कई वर्षों से घरों का निर्माण करते और उन्हें खरीदते आए हैं। भूवैज्ञानिकों की 40 वर्षों की चेतावनी को और सुरक्षित गृह निर्माण के नियमों को या अस्पष्ट छोड़ दिया गया है या अनदेखा कर दिया गया है। कई घरों से दिखने वाले दृश्य तो शानदार हैं, परन्तु उनके नीचे की नींव किसी हादसे की राह देख रही है है।
प्राचीन इस्राएल में कई लोगों ने मूर्तियों से फिरने और सच्चे और जीवित परमेश्वर की , खोज करने की यहोवा की चेतावनियों की उपेक्षा की थी। अवज्ञा के कारण उन पर कष्ट आए तो भी प्रभु ने अपने लोगों से कहते रहे कि यदि वे उनकी ओर फिरें और उनका अनुसरण करेंगे तो क्षमा और आशा प्राप्त करेंगे।
यशायाह नबी ने कहा, [प्रभु] तेरे समय के लिए सुदृढ़ नींव होंगे…। यशाया 33:6
पुराने नियम के समान, परमेश्वर आज भी हमें ऐसी नींव चुनने का विकल्प देते है जिस पर हम जीवन का निर्माण करेंगे। या तो हम अपनी इच्छानुसार चल सकते हैं, या हम बाइबिल में और यीशु मसीह के व्यक्तित्व में प्रकट किए गए अनन्त सिद्धांतों को अपना सकते हैं। “मसीह, जो एक ठोस चट्टान है, पर मैं खड़ा होता हूँ – बाकि सारी जमीन घंसती हुई रेत है” (एडवर्ड मोट)
परमेश्वर स्वयं ही हमारी सुदृढ़ नींव हैं।