“मेरी क्या गलती थी”? यह मेरे लिए सबसे रोमांचक समय होना चाहिए था। कॉलेज के बाद मुझे पहली नौकरी मिली थी घर से सैंकड़ों मील दूर एक अन्य शहर में। परन्तु यह रोमांच जल्दी ही फीका पड़ गया। मेरा फ़्लैट छोटा था, जिसमें फर्नीचर भी नहीं था। अनजान शहर जहाँ मैं किसी को नहीं जानता था। नौकरी रोचक थी पर अकेलापन काटने को दौड़ता था। 

एक रात मैंने अपनी बाइबिल खोली तो भजन-संहिता 16 सामने आ गया, जिसके 11 पद में परमेश्वर हमें भरने का वादा करते हैं। मैंने प्रार्थना की “हे प्रभु, पहले यह नौकरी मुझे सही लगी थी परन्तु अब अकेलापन काटता है। मुझे अपनी निकटता की भावना से भर दें”। मैं कई हफ्तों तक यही प्रार्थना करता रहा। कई रातों में मुझे परमेश्वर की उपस्थिति का गहरा अनुभव होता, परन्तु अन्य रातों में मुझे अकेलेपन का पीड़ा जनक अनुभव होता।

परंतु जब मैं वचन पर अपने हृदय को दृढ़ करता तो परमेश्वर मेरे विश्वास को और गहरा करते, हर रात। मैंने उनकी विश्वासयोगिता को ऐसे महसूस किया जैसे पहले कभी नहीं किया। मैंने सीखा कि मेरा काम है कि अपने हृदय को परमेश्वर के आगे उंडेल दूं…और उनके उत्तर का विनम्रतापूर्वक इंतजार करूं, उनके वादे पर विश्वास करते हुए कि वे हमें अपनी आत्मा से भरेंगे।