मेरी दूसरी बेटी अपनी बड़ी बहन के बिस्तर पर सोने के लिए बैचेन थी। ब्रिट्टा को बिस्तर से न निकलने की चेतावनी देकर मैं कहती कि अगर उसने उलंघन किया तो उसे अपने बिछौने पर जाना पड़ेगा। हर रात उसे गलियारे में देख मैं अपनी निरुत्साहित बेटी को उसके बिछौने पर सुला देती। वर्षों बाद मैंने जाना कि मेरी बड़ी बेटी को कमरे में रूममेट पसंद नहीं था। वह उसे कहती कि मैं उसे बुला रही हूँ, उसकी बात सुनकर ब्रिट्टा कमरे से निकल आती और उसे अपने बिछौने पर जाना पड़ता।
गलत बात मानने के परिणाम हो सकते हैं। जब यहोवा से वचन पाकर परमेश्वर का जन बेतेल गया, तो उसे स्पष्ट आज्ञा थी, न तो रोटी खाना…(1 राजा 13:9)। भविष्यवक्ता ने राजा यारोबाम के आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। एक बड़े नबी के आमंत्रण पर उसने पहले मना किया, बाद में सहमत हो गया। नबी ने यह कहकर उसे धोखा दिया, कि स्वर्गदूत ने उसे बताया है कि इसमें कुछ गलत नहीं। जैसे ब्रिट्टा को “बड़े बिस्तर” का आनंद देने की मेरी इच्छा थी, वैसे परमेश्वर को दुःख पहुंचा होगा कि उसने उनकी आज्ञा को न माना।
हमें परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए। उनका वचन हमारे जीवन का मार्ग है, जिसे सुनने और पालन करने में बुद्धिमानी है।
परमेश्वर का वचन हर बात से अधिक महत्वपूर्ण है।