वायु को नम रखने वाला उपकरण खरीदते समय मेरी भेंट एक स्त्री से हुई जो शायद वही उपकरण लेने स्टोर में आई थी। शीघ्र ही हम आपस में अपने शहर में चल रहे फ्लू वायरस के बारे में बात करने लगे जिसके कारण उसे सर्दी नजला और सरदर्द हो गया था। वह कड़वे शब्दों में वायरस के अतिक्रमण की निंदा कर रही थी। मैं असमंजस में, चुपचाप सुनती जा रही थी । नाराज़ और निराश ही वह स्टोर से निकल गई। अफ़सोस, उसकी पीड़ा कम करने के लिए मैं कुछ न कर सकी!

परमेश्वर के समुख अपने क्रोध और निराशा को व्यक्त करने के लिए दाऊद ने भजन लिखे। वह जानता था कि परमेश्वर न केवल सुनेंगे परन्तु उसके दर्द के लिए कुछ करेंगे। उसने लिखा, मूर्छा खाते समय…(भजन संहिता 61:2-3)।

जब हमें या किसी अन्य को पीड़ा हो, तो दाऊद के अच्छे उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं। उस चट्टान पर, जो हमसे ऊंची है, हम जा सकते हैं या किसी को वहाँ ले जा सकते हैं। काश, मैंने उस स्त्री को परमेश्वर के विषय में बाताया होता। यदि परमेश्वर हमारा दर्द कम न भी करें तो भी उनकी शांति में हम विश्राम पा सकते हैं। वे हमें आश्वासन देते हैं कि वह हमारी पुकार सुनते हैं।