निराशावादी होने कारण मैं जीवन की स्थितियों के प्रति नकारात्मक धारणा शीघ्र बना लेती हूँ। यदि मुझे एक प्रोजेक्ट में असफलता मिले तो मैं मान लेती हूँ कि सारे प्रोजेक्ट फेल हों जाएँगे-भले ही वह आपस में संबंधित ना हों। धिक्कार है मुझ पर! मैं एक खराब माँ हूँ, जो कुछ ठीक नहीं करती। एक क्षेत्र में असफलता अनावश्यक रूप से कई क्षेत्रों में मेरी भावनाओं को प्रभावित करती है।

वह देखकर हबक्कूक की प्रतिक्रिया क्या रही होगी जो परमेश्वर ने उन्हें दिखाया था, मैं कल्पना कर सकती हूँ। परमेश्वर के लोगों पर कठिनाइयां आते देख उसके पास निराश होने का कारण था; लंबे और कठिन वर्ष आगे खड़े थे। सब अंधकारमयी लग रहा था: फल, मांस, प्राणी और सुख कुछ न होगा। ये शब्द निराशापूर्ण हैं, पर तीन अक्षर इसे बदल देते हैं:तौभी मैं। “तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मग्न रहूंगा” (हबक्कूक 3:18)। आने वाली कठिनाईयों के बावजूद, हबक्कूक को आनन्दित होने का कारण इस में मिला कि परमेश्वर कौन हैं। कठिनाएयों को हम बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। परन्तु यदि कठिनाईयों के बावजूद हबक्कूक परमेश्वर की स्तुति कर सकते हैं, तो कदाचित हम भी कर सकते हैं। निराशा के भंवर में फंस जाने पर, हम परमेश्वर की ओर देख सकते हैं जो हमें ऊपर खींच लेते हैं।