वर्षों कैंसर का सामना करते-करते, रूत को खाने-पीने यहां तक ​​ठीक से निगलने में कठिनाई है। वह अपनी अधिकांश शारीरिक शक्ति खो चुकी है, और कई सर्जरी और उपचारों ने उसे जो वह थी उसकी परछाई बना दिया है। तोभी रूत परमेश्वर की प्रशंसा करने में सक्षम है; उसकी आस्था मजबूत और आनन्द संक्रामक है। वह प्रतिदिन परमेश्वर पर निर्भर करती है, और आशा करती है कि वह ठीक हो जाएगी। वह चंगाई के लिए प्रार्थना और विश्वास करती है कि परमेश्वर उत्तर देंगे-आज नहीं तो कल। कितना अद्भुत विश्वास है!

रुत के विश्वास को यह बोध मजबूत बनाता है कि परमेश्वर न केवल समय पर अपने वायदों को पूरा करेंगे वरन जब तक यह हो न जाए वह उसकी रक्षा करेंगे। यही आशा परमेश्वर के लोगों में थी, जब वह उनकी योजनाओं के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे थे (यशायाह 25:1), शत्रुओं से छुड़ाने(पद 2), आंसू पोंछने, नामधराई दूर करने और मृत्यु का सदा के लिए नाश करने की आशा(पद 8)। तब तक, परमेश्वर ने अपने लोगों को शरण और आश्रय, कठिनाइयों में दिलासा, सहन करने का बल और यह विश्वास दिया कि वह उनके साथ थे।

यह हमारा दोहरा वायदा है- एक दिन उद्धार पाने, और जीवन में दिलासा, सामर्थ और आश्रय प्राप्त करने की हमारी आशा।