पवित्र सप्ताह के दौरान, हम यीशु के क्रूसित होने से पहले के दिनों को याद करते हैं। यरूशलेम के जिस रास्ते से होकर यीशु ने क्रूस तक की यात्रा की थी, उसे आज ‘वाया डोलोरोसा’ के रूप में जाना जाता है-दुःख का रास्ता।
परन्तु इब्रानियों के लेखक ने यीशु के जिस मार्ग का अनुभव किया था, वह मात्र दुःख का एक रास्ता नहीं था। स्वेच्छा से गुलगुता जाने के लिए यीशु जिस दुःख के रास्ते पर चले वहां से उन्होंने हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में आने का “नया और जीवित मार्ग” बनाया (इब्रानियों 10:20)।
सदियों से यहूदियों ने जानवरों के बलिदान द्वारा और व्यवस्था का पालन करने द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति में आने की कोशिश की है। परन्तु व्यवस्था आने वाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब थी, क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे। (पद 1,4)।
वाया डोलोरोसा पर यीशु की यात्रा उन्हें उनकी मृत्यु और फिर पुनरुत्थान की ओर ले गई। उनके बलिदान से, जब हम अपने पापों की क्षमा के लिए उन पर भरोसा करते हैं तो हम पवित्र बन सकते हैं। हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ…(पद 10, 22)। मसीह के दुःख के रास्ते ने हमारे लिए परमेश्वर के पास आने का एक नया और जीवित मार्ग खोला है।
मसीह के बलिदान की मांग परमेश्वर ने की थी और हमारे पापों को उसकी आवश्यकता थी।