मेरे सहकर्मी ने दर्द के कारण अवकाश लेने पर कार्यालय में सब चिंतित थे। उपचार के बाद उसने वापस आकर हमें दर्द की जड़ दिखाई- वह पथरी थी। मुझे वर्षों पूर्व अपने गॉल्ब्लैडर की पथरी याद आ गई जिसका दर्द बेहद कष्टदायी था।
इतनी छोटी चीज़ देह को इतनी पीड़ा दे सकती है? पौलुस ने 1कुरिन्थियों 12:26 में कहा, “इसलिये यदि एक अंग…”। पौलुस ने दुनिया भर के मसीहियों के लिए ‘देह’ का प्रयोग किया है। “परमेश्वर ने देह को…”,( पद 24) यहाँ पौलुस मसीह की समस्त देह की बात कर रहे थे-सब मसीही। हम सभी के अलग वरदान और भूमिकाएं हैं। परंतु हम एक देह के अंग हैं इसलिए जब एक दुखी होता है तो सब दुखी होते हैं। जब एक सताव, दुख या परीक्षाओं में पड़ता है, तो हमें भी यूं कष्ट होता है मानो चोट हमें लगी है, दर्द मानो हम अनुभव कर रहे हैं।
मेरे सहकर्मी को वह मदद लेनी पड़ी जिसकी उसे आवश्यकता थी। मसीह की देह में दूसरे का दर्द हममें करुणा जगाता है और कुछ करने के लिए बाध्य करता है। हम प्रार्थना कर सकते हैं, प्रोत्साहन के शब्द कह सकते हैं या उपचार प्रक्रिया में मदद करने के लिए जो संभव हो वह कर सकते हैं। देह इसी प्रकार मिल कर काम करती है।
हम इसमें सहभागी हैं।