मेरे मित्र के भाई ने अपनी बहन को, जब वे दोनों छोटे थे, भरोसा दिलाया कि यदि वह “विश्वास” करेगी तो उसे ऊपर थामने के लिए एक छाते में प्रयाप्त ताकत है l इसलिए “विश्वास से” उसकी बहन अनाजघर के छत से कूद गयी, जिससे उसे थोड़ी चोट लग गयी l

परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार करता है l किन्तु हम इस बात को भली रीति से जान लें  कि हम प्रतिज्ञा को अपनाते समय परमेश्वर के वास्तविक  वचन पर अटल हैं, क्योंकि केवल उसी स्थिति में परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा अनुसार देगा अथवा करेगा l विश्वास में खुद उतनी ताकत नहीं है l वह तब सार्थक होता है जब वह परमेश्वर से प्राप्त स्पष्ट और अमिश्रित प्रतिज्ञा पर आधारित है l इसके अलावा सब कुछ केवल ख़याली पुलाव है l

यहाँ एक स्पष्ट उदाहरण है : परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है, “… जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिए हो जाएगा l मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेंरे चेले ठहरोगे” (यूहन्ना 15:7-8) l ये पद ऐसी प्रतिज्ञा नहीं हैं कि परमेश्वर मेरी हर निवेदन का उत्तर देगा किन्तु ऐसी प्रतिज्ञा कि वह धार्मिकता की हमारी हर चाहत का प्रतिउत्तर देगा, जिसे पौलुस आत्मा के फल” संबोधित करता है (गला. 5:22-23) l यदि हम पवित्रता के लिए भूखे और प्यासे होते हैं, वह हमें तृप्त करेगा l इसमें समय लगेगा; क्योंकि मानवीय प्रौढ़ता की तरह ही, आत्मिक प्रौढ़ता धीरे-धीरे होता है l हार न मानें l परमेश्वर से आपको पवित्र बनाने के लिए निवेदन करते रहें l उसके अपने समय और गति में “वह तुम्हारे लिए हो जाएगा l” परमेश्वर ऐसी प्रतिज्ञाएँ नहीं करता है जिसे वह पूरी नहीं कर सकता l