अपने संघर्षों और पुराने दर्द में परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए जब मैं आगे बढ़ रही हूँ, छोटी से छोटी रूकावट भी क्रोधी आक्रमणकारी दुश्मन महसूस होता है l प्रथम समस्या मुझे दाहिनी ओर से दबाती है l दूसरी समस्या मुझे पीछे से धक्का देती है l तीसरी समस्या सामने से आक्रमण करती है l इन समयों में, जब मेरी ताकत क्षीण होती है और तुरन्त आराम नहीं मिलता, दौड़कर छिप जाना एक अच्छी सोच लगती है l किन्तु इसलिए कि मैं दर्द से भाग नहीं सकती, अपनी स्थिति को बदल नहीं सकती, अथवा अपनी भावनाओं को अनदेखा नहीं कर सकती, मैं धीरे-धीरे अपनी समस्या से निकलने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना सीख रही हूँ l

जब मुझे प्रोत्साहन, आराम, और साहस की ज़रूरत होती है, मैं भजनकारों के भजनों को प्रार्थनापूर्वक पढ़ती हूँ, जो ईमानदारी पूर्वक अपनी स्थितियों को परमेश्वर के निकट लाते हैं l मेरे एक प्रिय भजन में, दाऊद अपने बेटे, अबशालोम से भाग रहा है, जो उसका राज्य उससे छीनकर उसे मार डालना चाहता है l यद्यपि दाऊद अपनी दर्द भरी स्थिति पर विलाप करता है (भजन 3:1-2), वह परमेश्वर की सुरक्षा पर भरोसा रखकर अपनी प्रार्थना के उत्तर का इंतज़ार किया (पद.3-4) l राजा ने न अपनी नींद नहीं खोयी और न ही अनहोंनी से भयभीत हुआ, क्योंकि उसने परमेश्वर पर उसे थामने और बचाने के लिए भरोसा किया (पद.5-8) l

भौतिक और भावनात्मक पीड़ा अक्सर आक्रामक शत्रुओं के समान महसूस होते हैं l हम हार मानने के लिए प्रेरित होते हैं अथवा घबराहट में भाग जाने की इच्छा होती है जब हमें हमारे वर्तमान के संघर्ष में उसका हल दिखाई नहीं देता l किन्तु, दाऊद की तरह, हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हमें थामेगा और हम उसके निरंतर और प्रेमी उपस्थिति में विश्राम कर सकते हैं l