सीरिया की एक स्त्री, रीमा जो अमरीका में आकर रहने लगी थी, ने अपने शिक्षक को हाथों के इशारों और सीमित अंग्रेजी भाषा की सहायता से बताने का प्रयास किया कि वह परेशान है l उसके आँसू बह रहे थे जब वह खूबसूरती से एक थाली में फतेयर (गोश्त, पनीर, और पालक से बना व्यंजन) लेकर आयी l तब उसने कहा, “एक व्यक्ति,” और उसने लम्बी साँस की आवाज़ निकलते हुए दरवाज़े से कमरे की ओर और कमरे से दरवाज़े की ओर इशारा किया l शिक्षक ने उसकी बातों को समझाया कि निकट के चर्च से बहुत से लोगों को कुछ उपहार लेकर रीमा और उसके परिवार से मिलने आना था l लेकिन केवल एक ही व्यक्ति आया l वह आकर अपने उपहार रखकर तुरन्त लौट गया l वह व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त था, जबकि रीमा और उसका परिवार अकेलापन महसूस कर रहे थे और समुदाय की सहभागिता चाहते थे और अपने नए मित्रों के संग अपना नया व्यंजन फतेयर बांटना चाहते थे l
यीशु हमेशा लोगों को समय देता था l उसने समारोहों में भाग लिया, भीड़ को शिक्षा दी, और समय निकलकर व्यक्तियों से बातचीत की l वह एक कर अधिकारी, जक्कई के घर का मेहमान भी बना, जो पेड़ पर चढ़ कर उसे देखना चाहता था l यीशु उसे देखकर उससे बोला था, “झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अबश्य है” (लूका 19:1-5) l और जक्कई का जीवन हमेशा के लिए बदल गया था l
अन्य जिम्मेदारियों के कारण, हम हमेशा समय नहीं दे सकते हैं l किन्तु जब समय निकलते हैं, हमारे पास दूसरों के साथ संगती करने का और यह देखने का अद्भुत समय होगा कि परमेश्वर हमारे द्वारा कार्य कर रहा है l
आपका समय ही सबसे बड़ा उपहार हो सकता है जो आप दूसरों को दे सकते हैं l