मेरी सहेली कैरी की पांच वर्षीय बेटी, माइजा का खेल के समय के विषय अलग तरीका था l वह अलग-अलग गुड़ियों को मिलाकर उनका एक अलग समूह बनाती थी l कल्पना के संसार में, सब कुछ को एक साथ लाया जा सकता है l गुड़ियाँ उसकी थीं l उसका मानना है कि अलग-अलग आकार और प्रकार के बावजूद भी साथ रहने से वे सभी सबसे अधिक प्रसन्न रहती हैं l
परमेश्वर की रचनात्मकता मुझे कलीसिया के विषय उसका उद्देश्य याद दिलाता है l लूका कहता है, पिन्तेकुस्त के दिन “आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे” (प्रेरितों 2:5) l यद्यपि ये लोग भिन्न संस्कृति से आते थे और अलग-अलग भाषा बोलते थे, पवित्र आत्मा के आगमन ने उन्हें एक नूतन समुदाय बना दिया, अर्थात् कलीसिया l उसके बाद से, वे एक देह कहलाने वाले थे, जिन्हें यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान ने एक किया था l
इस नए देह के अगुए लोगों का एक समूह अर्थात् चेले थे जिन्हें यीशु ने इस पृथ्वी पर रहते हुए जोड़ा था l यदि यीशु उन्हें नहीं जोड़ा होता, तो ऐसा बहुत हद तक संभव था कि वे एक समूव बन ही नहीं पाते l अब और लोग भी अर्थात् “तीन हज़ार” (2:41) मसीह के अनुयायी बन गए l पवित्र आत्मा को धन्यवाद, जो एक समय विभाजित समूह थे अब “उनकी सब वस्तुएं साझे में थीं” (पद.44) l जो कुछ उनके पास था वह एक दूसरे के साथ बांटने के लिए तैयार थे l
आज भी पवित्र आत्मा मानव समूहों के बीच अंतर को पाट रहा है l हर समय हमारे विचार समान नहीं होंगे, न ही हमारी समझ l किन्तु मसीह के विश्वासी होने के कारण, हम एक दूसरे के अंग है l
पवित्र आत्मा “हमें” और “उनको” “हम लोग” में बदल देता है l