कौन सी बात आपको रात में जगा के रखती है? हाल ही में मैंने नींद खोयी है, और बिस्तर पर करवटें बदलते हुए इस समस्या का हल खोजने का प्रयास किया है l आखिरकार अगले दिन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयाप्त आराम नहीं मिलने से मैं खीज जाती हूँ!
जाना-पहचाना महसूस होता है? समस्याग्रस्त सम्बन्ध, अज्ञात भविष्य, जो भी हो – हम कभी न कभी चिंता करते ही हैं l भजन 4 को लिखते हुए राजा दाऊद अवश्य ही कठिनाई में था l लोग झूठे आरोप लगाकर उसकी इज्ज़त को बर्बाद कर रहे थे (पद.2) l और कुछ लोग उसके शासन करने की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे थे (पद.6) l संभवतः दाऊद इस तरह के अन्यायपूर्ण व्यवहार से क्रोधित था l अवश्य ही वह कई रात तक इसके विषय बेचैन रह सकता था l फिर भी हम उसके इन अद्भुत शब्दों को पढ़ते हैं : “मैं शांति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा” (पद.8) l
चार्ल्स स्पर्जन खूबसूरती से पद 8 की व्याख्या करते हैं : “इस तरह लेटकर , . . . [दाऊद] खुद को किसी के बाहों में डाल देता है; वह पूरी तरह ऐसा करता है, क्योंकि समस्त चिंताओं के अभाव में, वह सो सका; यहाँ पूर्ण भरोसा दिखाई देता है l”
इस भरोसा के पीछे कौन सी प्रेरणा है? आरम्भ से, दाऊद को भरोसा था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना सुनेगा (पद.3) l और वह निश्चित था कि परमेश्वर ने उससे प्रेम करने के लिए उसे चुना है, और वह उसकी ज़रूरतें भी पूरी करेगा l
चिंता के समय परमेश्वर हमें अपनी सामर्थ्य और उपस्थिति में आराम दे l उसके प्रभुत्व करनेवाले और प्रेमी बाहों में, हम “लेट” और “सो” जाएंगे l
हम पूर्ण भरोसेमंद परमेश्वर पर अपनी चिंता सौंप सकते हैं l