मेरे पति के एक माह के लम्बे दौरे पर चले जाने के तुरन्त बाद मैं अपनी नौकरी, अपना घर, और अपने बच्चों की ज़रूरतों के कारण परेशान हो गयी l लिखने के एक काम की निर्धारित तिथि आ चुकी थी l घास काटने की मशीन ख़राब हो गयी थी l मेरे बच्चों के स्कूल की छुट्टी थी और वे ऊब रहे थे l मैं अकेले इतने सारे काम कैसे कर पाऊँगी?
शीघ्र ही मैंने महसूस किया कि मैं अकेले नहीं हूँ l चर्च से मित्रगण सहायता करने पहुँच गए l जोश घास काटने की मशीन को ठीक करने आ गया l जॉन दिन का भोजन लेकर आया l कैसिडी कपड़े धोने में मेरी मदद कर दी l एबी ने मेरे बच्चों को अपने बच्चों के संग खेलने के लिए बुला ले गयी ताकि मैं काम पूरा कर सकूँ l परमेश्वर ने इन मित्रों द्वारा मेरा प्रबंध कर दिया l ये लोग पौलुस द्वारा रोमियों 12 में वर्णित समुदाय के जीवित रूप थे l उनका प्रेम निष्कपट था (पद.9) l वे अपनी ज़रूरतों से अधिक दूसरों की ज़रूरतों का ध्यान रखते थे(पद.10) l उन्होंने मेरी ज़रूरतों में मेरी मदद करके आतिथ्य किया (पद.13) l
उस प्रेम के कारण जो मेरे मित्रों ने मुझसे किया, मैं “आशा में आनंदित” और “क्लेश में स्थिर”(पद.12) रह सकी, चाहे मुझे थोड़ी परेशानी सहकर एक महीने तक अकेले ही बच्चों की देखभाल करनी पड़ी l मसीह में मेरे भाई और बहन मेरे लिए “परमेश्वर के समान” बन गए l उन्होंने मुझसे निष्कपट प्रेम किया जो हमें सभी से करना चाहिए, विशेषकर विश्वासियों के साथ (गलातियों 6:10) l मैं उनकी तरह बनना चाहती हूँ l
मुझे किसके लिए “परमेश्वर के समान” बनना है?