जब मेरी मुलाकात एडा से हुई, उस वक्त तक उसके मित्रों और परिजनों की मृत्यु हो चुकी थी और वह एक नर्सिंग होम में रहती थी l वृद्धावस्था का यह सबसे कठिन भाग है,” उसने कहा “जब आपके देखते-देखते सभी आपको छोड़ गए और आप जीवित हैं l” एक दिन मैंने एडा से पूछा कि किस तरह अभी भी उनकी रूचि जीवित थी और वह अपना समय कैसे बिताती थी l उसने बाइबल से पौलुस की एक पत्री के एक परिच्छेद का सन्दर्भ देकर कहा (फ़िलि. 1:21) : “क्योंकि मेरे लिए जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है l” उसके बाद वह बोली, “ जब तक मैं जीवित हूँ, मेरे पास करने के लिए काम है l अपने अच्छे दिनों में, मैं लोगों को यीशु के विषय बताती हूँ; और कठिन दिनों में, मैं प्रार्थना कर सकती हूँ l”
सार्थक रूप से देखें तो, पौलुस कैद से यह पत्री लिख रहा था l और उसने एक सच को पहचाना जो अनेक मसीही अपनी नश्वरता का सामना करते हुए महसूस करते हैं : यद्यपि स्वर्ग का आकर्षण अत्यधिक है, इस पृथ्वी पर का हमारा समय परमेश्वर के लिए विशेष है l
पौलुस की तरह, ऐडा ने पहचाना कि हर सांस परमेश्वर की सेवा और उसकी महिमा करने हेतु एक अवसर है l इस प्रकार ऐडा दूसरों से प्रेम करने और उनको अपने उद्धारकर्ता के विषय बताने में अपना समय बिताती थी l
हमारे सबसे अन्धकारमय दिनों में भी, मसीही परमेश्वर की संगति में रहने के स्थायी आनंद की प्रतिज्ञा को थामे रह सकते हैं l और जब तक हम जीवित हैं, हम उसकी संगति का आनंद लेते हैं l वह हमारे हर क्षण को विशेष बनाता है l
जब परमेश्वर हमें घर बुलाने आए, वह हमें उसकी सेवा करता हुआ पाए l