मेरे कुछ मित्र हैं जिन्होनें आंशिक चंगाई पायी है किन्तु अपनी बीमारियों के दुखद पहलुओं से अभी भी संघर्ष कर रहे हैं l दूसरे मित्र किसी नशे की लत से चंगाई पाए हैं किन्तु अपनी अयोग्यता की भावनाओं और आत्म-घृणा से अभी भी संघर्ष कर रहे हैं l और मैं चकित हूँ,क्यों नहीं परमेश्वर ने उनको एक बार में ही पूरी रीति से चंगा कर दिया?

मरकुस 8:22-26 में, यीशु के एक दृष्टिहीन व्यक्ति को चंगा करता है l सर्वप्रथम यीशु उस व्यक्ति को गाँव से बाहर ले गया l उसके बाद उसकी आँखों में थूका और “उस पर हाथ रखे l” उस व्यक्ति ने कहा कि उसे मनुष्य “चलते हुए पेड़ों जैसे दिखाई देते हैं” उसके बाद यीशु ने उसकी आँखों पर दोबारा हाथ रखे, और इस बार वह “सब कुछ साफ़-साफ़ देखने लगा l”

यीशु की सेवा में, उसके शब्द और कार्य अक्सर लोगों को और उसके शिष्यों को चकित और चौंका दिया करते थे (मत्ती 7:28; लूका 8:10; 11:14) और बहुतों को उससे दूर भी ले गए (यूहन्ना 6:60-66) l इसमें कोई शंका नहीं कि ये दोनों आश्चर्यक्रम भी गड़बड़ी उत्पन्न कर दी l इस व्यक्ति को तुरन्त  चंगा क्यों नहीं किया गया?

हम नहीं जानते क्यों l किन्तु यीशु जानता था कि उस क्षण इस व्यक्ति को और शिष्यों को जो इस चंगाई  के गवाह थे, क्या ज़रूरत थी l और वह जानता है कि आज हमें क्या चाहिए जिससे उसके साथ हमारे सम्बन्ध और निकट के हो जाएं, l यद्यपि हम हमेशा नहीं समझ पाएंगे, हम भरोसा करें कि परमेश्वर हमारे और हमारे प्रियों के जीवनों में कार्य कर रहा है और वह उसके पीछे चलने के लिए हमें सामर्थ्य, साहस और स्पष्टता देगा l