Month: जुलाई 2018

सिद्ध संसार

 

केटी को स्कूल कार्य के रूप में “मेरा सिद्ध संसार” शीर्षक पर एक लेख लिखने को मिला l उसने लिखा : “मेरे सिद्ध संसार में . . . आइसक्रीम मुफ्त मिलता है, लॉलीपॉप हर जगह उपलब्ध है, और कुछ विशेष आकार के बादलों को छोड़कर आसमान हर समय नीला है l उसके बाद उसके लेख में गंभीर बातें थीं l उस संसार में, उसने आगे लिखा, “कोई भी बुरी खबर लेकर घर नहीं आएगा l और उस तरह का खबर लानेवालों की ज़रूरत नहीं है l

 कोई भी बुरी खबर लेकर घर नहीं आएगा l क्या यह खुबसूरत नहीं है? ये शब्द यीशु में हमारे निश्चित आशा की ओर संकेत करते हैं l वह “सब कुछ नया कर रहा है” अर्थात् हमारे संसार को चंगा एवं रूपांतरित कर रहा है (प्रकाशितवाक्य 21:5) l

स्वर्गलोक “कभी नहीं होगा” का स्थान है –  बुराई नहीं होगी, मृत्यु नहीं होगी, विलाप नहीं होगा, पीड़ा नहीं होगी, आँसू नहीं होंगे (पद.4) l यह परमेश्वर के साथ पूर्ण सहभागिता का स्थान है, जिसने अपने प्रेम से विश्वासियों को छुड़ाकर अपना बनाया है (पद.3) l हमारे लिए भविष्य में कितना अद्भुत आनंद है!

हम यहाँ पर वर्तमान में इस पूर्ण सच्चाई की एक झलक प्राप्त कर सकते हैं l जब हम प्रतिदिन परमेश्वर के साथ सहभागिता रखते हैं, हम उसकी उपस्थिति का आनंद अनुभव करते हैं (कुलुस्सियों 1:12-13) l और जब हम पाप के विरुद्ध संघर्ष करते हैं, हम कुछ हद तक, मसीह में, जिसने पाप और मृत्यु को पूरी तौर से पराजित कर दिया हैं, उस विजय का अनुभव कर सकते हैं (2:13-15)

मैं तुम्हें देख सकता हूँ

जब ज़ेवियर दो वर्ष का था, वह जूते की एक छोटी दूकान के गलियारे में दौड़ लगाने लगा l तब मेरे पति, एलन ने कहा, “मैं तुम्हें देख सकता हूँ,” वह जूते के डिब्बों के पीछे छिपकर खिलखिलाता रहा l
कुछ क्षण बाद, मैंने एलन को घबराकर एक गलियारे से दूसरे में भागते देखा l वे ज़ेवियर को पुकार रहे थे l हम दोनों दौड़ कर स्टोर के सामने आ गए l हमारा बेटा अभी भी खिलखिला रहा था, और हमने उसे दूकान के सामने व्यस्त सड़क की ओर भागते देखा l

कुछ ही पलों में, एलन ने उसे गोद में उठा लिया l हमने उसे बाहों में लेकर परमेश्वर का  धन्यवाद किया l हमने सिसकते हुए अपने छोटे बेटे के गोल-मोल गालों को चूमा l एक वर्ष पूर्व ज़ेवियर के जन्म लेने से पहले मैं अपना पहला गर्भ खो चुकी थी l जब परमेश्वर ने हमें एक बेटा के रूप में आशीषित किया, मैं भयभीत माँ हो गयी l जूते की दूकान वाले अनुभव ने यह जता दिया था कि मैं हमेशा अपने बेटे पर दृष्टि रखने या उसे सुरक्षित रखने में असमर्थ हूँ l किन्तु मैंने चिंता और भय से संघर्ष करते समय अपने सर्व उपस्थित परमेश्वर पर जो मेरा सहायक और सुरक्षा देनेवाला है, भरोसा करके शांति का अनुभव किया l

हमारा स्वर्गिक पिता अपने बच्चों पर सदा अपनी दृष्टि रखता है (भजन 121:1-4) l जबकि हम परीक्षा, दुःख, या हानि को रोकने में असमर्थ हैं, हम सदा उपस्थित रहनेवाले और सुरक्षा देनेवाले परमेश्वर पर जो हमारे जीवनों पर दृष्टि रखता है, निश्चित भरोसे के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं (पद.5-8) l

हम ऐसे दिनों का सामना करेंगे जब हम खुद को खोया हुआ और मजबूर महसूस करेंगे l हम खुद को सामर्थहीन भी महसूस करेंगे जब हम अपनों की सुरक्षा नहीं कर पाएंगे l किन्तु हम सर्वज्ञानी परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं जो सदैव हम पर अर्थात् अपने प्रिय और अतिप्रिय बच्चों पर दृष्टि रखता है l 

खुल कर जीना

टेक्सास, ऑस्टिन के एक होटल में ठहरे हुए, मैंने अपने कमरे की मेज़ पर एक कार्ड देखी जिसमें लिखा था :
स्वागत है !
हमारी प्रार्थना है कि आपका यहाँ रहना सुखदायक होगा और आपकी यात्रा लाभदायक l
यहोवा आपको आशीष दे और आपकी रक्षा करे; यहोवा आप पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए l

इस कार्ड ने मुझे इस होटल का प्रबन्ध करने वाली कंपनी के विषय और भी जानने को विवश किया l इसलिए मैंने उनकी वेबसाइट खोल कर उनकी तहज़ीब, ताकत, और मान्यताएँ को जानना चाहा l मनोहर तरिके से, वे उत्कृष्टता का अनुसरण करते हुए अपने कार्यस्थल में अपने विश्वास से जीते हैं l

उनका यह दर्शन मुझे पतरस के शब्द याद कराते हैं जो उसने एशिया माइनर में बिखरे हुए यीशु के अनुयायियों को लिखी l उसने उनको अपने समुदाय में जहां वे रहते थे मसीह में अपने विश्वास को दर्शाने के लिए उत्साहित किया l धमकियों और सताव के मध्य भी, पतरस ने उनसे अभय रहने को कहा, “पर मसीह को प्रभु जानकार अपने अपने मन में पवित्र समझो l जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, उसे उत्तर देने के लिए सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ” (1 पतरस 3:15) l
मेरा एक मित्र इसे “ऐसी जीवन शैली जो निरूपण की मांग करता है” संबोधित करता है l

परमेश्वर कैसा है?

एक विशेष अवसर को मनाने के लिए, मेरे पति मुझको एक स्थानीय कला दीर्घा (Art gallery) ले गए और मुझे उपहार देने के लिए मुझसे कोई चित्रकला चुनने को कहा l मैंने वन के बीच से बहती हुई एक छोटी नदी की छोटी चित्रकला का चुनाव किया l उस चित्र में नदी का तल पूरे चित्र फलक(Canvas) पर फैला हुआ था, और इस कारण आकाश का हिस्सा बहुत कम दिखाई दे रहा था l हालाँकि, नदी की प्रतिबिम्ब में सूरज, पेड़ों की चोटियाँ, और धुंधला फ़िज़ा स्पष्ट था l केवल पानी की सतह पर ही आसमान “देखा”  जा सकता था l
आत्मिक भाव में, यीशु उस नदी के समान है l जब हम जानना चाहते हैं कि परमेश्वर कैसा है, हम यीशु की ओर देखते हैं l इब्रानियों का लेखक कहता है कि वह “[परमेश्वर] के तत्व की छाप [है]” (1:3) l यद्यपि हम “परमेश्वर प्रेम है” जैसे बाइबल के प्रत्यक्ष कथनों से परमेश्वर के विषय सच्चाइयाँ सीख सकते हैं, हम परमेश्वर को उन समस्याओं में कार्य करते हुए देखकर  जिनसे हमारा सामना इस संसार में होता है, हम अपनी समझ को और भी गहरा कर सकते हैं l यीशु हमें दिखाने आया कि वह मानव रूप में परमेश्वर है l
परीक्षा में, यीशु ने परमेश्वर की पवित्रता प्रगट किया l आत्मिक अन्धकार का सामना करते हुए, उसने परमेश्वर का अधिकार दर्शाया l लोगों की परेशानियों से जूझते हुए, उसने परमेश्वर की बुद्धिमत्ता दिखाई l अपनी मृत्यु में, उसने परमेश्वर का प्रेम प्रगट किया l
यद्यपि हम परमेश्वर के विषय सब कुछ नहीं समझ सकते हैं – वह असीमित है और हम अपनी सोच में सीमित हैं – हम मसीह को देखकर परमेश्वर के चरित्र के विषय निश्चित हो सकते हैं l