पहली सदी में प्रेरित यूहन्ना का गयुस को पत्र लिखना ऐसी कला है जो इक्कीसवीं सदी में लुप्त हो चुकी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की लेखिका कैथरीन फील्ड लिखती हैं, “पत्र लिखना हमारी प्राचीनतम कलाओं में से एक है।
गयुस को लिखे पत्र में, यूहन्ना शारीरिक और आत्मिक चंगाई की आशा के साथ गयुस की सत्यनिष्ठा पर एक उत्साहवर्धक वचन शमिल करते हैं और कलीसिया के प्रति उसके प्रेम पर टिपण्णी करते हैं। यूहन्ना ने कलीसिया में किसी समस्या की बात कही जिसे अलग से बाद में संबोधित करने का वादा किया। और उन्होंने परमेश्वर की महिमा हेतु अच्छे कार्य करने के महत्व के बारे में लिखा। कुल मिलाकर यह पत्र उत्साहवर्धक और चुनौतीपूर्ण था।
डिजिटल बातचीत के युग का अर्थ है, कागज के पत्र का लुप्त होना, परन्तु इसे दूसरों को प्रोत्साहित करने से हमें नहीं रोकना चाहिए। पौलुस ने चर्मपत्र पर प्रोत्साहन भरे पत्र लिखे; हम विभिन्न तरीकों में दूसरों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। मुख्य यह नहीं कि तरीका क्या है, परन्तु यह है कि हम दूसरों को बताएँ कि हम यीशु के नाम पर उनकी परवाह करते हैं!
गयुस को यूहन्ना के पत्र से मिले प्रोत्साहन की कल्पना करें। हम भी मेसेज लिखकर या फ़ोन करके प्रेरणाप्रद शब्दों द्वारा अपने मित्रों को परमेश्वर का प्रेम दिखा सकते हैं।
उत्साहवर्धक शब्द मनुष्य के मन को आशा से भर देते हैं।