सैर करते हुए मेरी मित्र और मैं बाइबिल के प्रति अपने प्रेम की बात करने लगे। उसने कहा, ” मुझे पुराना नियम खास पसंद नहीं। जटिल बातें और प्रतिशोध-मुझे बस यीशु चाहिए!”
उसके कहे अनुसार कदापि हम भी नहूम जैसी पुस्तक में लिखे वचन को पढ़ कर, घबरा जाएँगे। “यहोवा जल उठने वाला…; (नहूम 1:2) और इसके बावजूद अगला ही पद हमें आशा से भरता है: “यहोवा विलम्ब से क्रोध…।” (पद 3)।
परमेश्वर के क्रोध के विषय पर अधिक गहराई से मनन करने पर हम पाते हैं कि वह अधिकतर अपने लोगों का या अपने नाम का बचाव करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। अपने असीम प्रेम के कारण, वह गलतियों के लिए न्याय और मनफिराव कर उनकी ओर मुड़ने वालों के लिए छुटकारा चाहते हैं। हम इसे न केवल पुराने नियम में देखते हैं-जब अपने लोगों को अपने पास वापस बुलाते हैं, परन्तु नए नियम में भी जब हमारे पापों के बलिदान के लिए वह अपने निज पुत्र को भेजते हैं।
भले ही हम परमेश्वर के चरित्र के रहस्यों को ना समझें, परन्तु हम भरोसा कर सकते हैं कि वह न केवल न्यायी परमेश्वर हैं वरन सभी प्रेमों का स्रोत भी हैं। हमें उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह “भला है; संकट के दिन में…।”(पद 7)
क्रूस पर परमेश्वर के न्याय और दया का परस्पर मेल होता है।