SOS मोर्सकोड सिग्नल 1905 में बना क्योंकि नाविकों को संकट का सिग्नल देने के लिए एक मार्ग की आवश्यकता थी। 1910 में स्टीमशिप केंटकी जहाज द्वारा छयालिस लोगों को बचाने के किए सिग्नल का प्रयोग किया गया।
SOS हाल ही का आविष्कार है, परन्तु मदद के लिए पुकारना उतना पुराना है जितनी मानवता। जब विजयी इस्राएली उस वायदे के देश में बस रहे थे जो परमेश्वर ने उन्हें दिया था, तब यहोशू ने चौदह वर्षों तक इस्राएलियों का (यहोशू 9:18) और चुनौतीपूर्ण भूभाग (3:15-17) विरोध का सामना किया। इस दौरान “परमेश्वर यहोशू के…” (6:27)।
यहोशू 10 में, जब इसराएली अपने सहयोगी गिबोनियों की सहायता के लिए जाते हैं जिनपर पांच राजाओं ने हमला किया था, तब यहोशू जानता था कि शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित करने के लिए परमेश्वर की मदद की ज़रूरत होगी (पद12)। परमेश्वर ने ओले भेजकर उत्तर दिया, यहां तक कि दुश्मनों को पराजित करने का समय देने के लिए सूर्य को थामे रखा। यहोशू 10:14 बताता है, “यहोवा तो इस्राएल…!”
यदि आपके सामने चुनौतियां हैं, तो आप परमेश्वर को SOS भेज सकते हैं। भले ही मिलने वाली मदद यहोशू से अलग हो, शायद एक अप्रत्याशित नौकरी, अच्छा डॉक्टर या दुख में शांति। हियाव बांधेंऍ वह आपकी पुकार का उत्तर दे रहे हैं, और आपके लिए लड़ रहे हैं।
जब हम सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारें तो विश्वास भी करें कि वह हमारे साथ होंगे।