बचपन में मैंने अपने माता-पिता से पहली प्रार्थना सीखी कि “हे प्रभु, मैं सोने जाता हूँ, मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूं।” जिसे मैंने अपने बच्चों को सिखाया। सोते समय इस प्रार्थना द्वारा अपने आप को परमेश्वर के हाथों में सौंपना मुझे तस्सली देता था।

बाइबिल की “प्रार्थना पुस्तक”, भजन संहिता में ऐसी प्रार्थना है। “मैं अपनी आत्मा…;” (भजन संहिता 31:5) विद्वानों का मानना है कि यह “सोने के समय” की प्रार्थना थी जिसे यीशु के दिन में बच्चों को सिखाया जाता था ।

क्रूस पर यीशु की अंतिम पुकार से हम इसे पहचान सकते हैं। यीशु ने इसमें “पिता ” शब्द जोड़ा: (लूका 23:46)। मृत्यु से पूर्व इन शब्दों के साथ प्रार्थना करते हुए, यीशु ने पिता के साथ अपने घनिष्ठ संबंध और ऐसे स्थान की ओर इशारा किया जहाँ विश्वासी उनके साथ रहेंगे (यूहन्ना 14:3)।

यीशु के क्रूस पर जान देने से परमेश्वर के साथ हमारा संबंध स्वर्गीय पिता के रूप में हो गया। यह जानकर कितनी तस्सली मिलती है कि यीशु के बलिदान से, हम परमेश्वर की सन्तान बनकर उनकी परवाह में विश्राम पा सकते हैं! हम निडर सो सकते हैं क्योंकि हमारा पिता इस वादे के साथ हम पर दृष्टि लगाए है कि वह मसीह के साथ हमें जी उठाएगें (1 थिस्सलुनीकियों 4:14)।