मेरे नाती, जो अभी नन्हें हैं, उन्हें अपने कपड़े खुद पहनना पसंद है। वे अक्सर अपनी कमीज़ पीछे ज्यादा खींच देते हैं और अपने जूते उल्टे पहन लेते हैं। मुझे उनकी गलती सुधारने का मन नहीं करता क्योंकि मुझे उनकी मासूमियत और दुनिया को उनकी आंखों से देखना पसंद है।
उनके लिए सब कुछ एक नया अनुभव हैI, टूटे पेड़ पर चलना, कछुए की जासूसी करना, या उत्साह से दमकल ट्रक गुजरते देखना। वास्तव में मेरे नन्हें नाती इतने मासूम नहीं हैं। बिस्तर पर ना जाने के उनके पास दर्जन बहाने होते हैं और वो दूसरे का खिलौना झटपट छीन लेते हैं। फिर भी मैं उनसे बहुत प्रेम करती हूँ।
पहले मानव आदम-हव्वा कई मायनों में मेरे नातियों के समान थे।I परमेश्वर के साथ बगीचे में चलते हुए हर चीज़ उनके लिए आश्चर्यजनक रही होगी। परन्तु एक दिन उन्होंने मनमानी और अवज्ञा की और उस पेड़ का फल खा लिया जिसकी मनाही थी (उत्पत्ति 2:15-17;3:6)। परिणामस्वरूप वह झूठ बोलने और दोष लगाने लगे (3:8-13)।
फिर भी, परमेश्वर ने उनसे प्रेम किया और उनकी परवाह करते रहे। उन्होंने चमड़े के अंगरखे बना कर उन्हें पहिना दिए (पद 21)-और आगे चलकर अपने पुत्र के बलिदान द्वारा सभी पापियों के लिए उद्धार का मार्ग प्रदान किया (यूहन्ना 3:16)। वह हमें बहुत प्रेम करते हैं!
यीशु हमसे इतना प्रेम करते हैं कि उन्होंने हमारे पापों के लिए स्वयं को बलिदान कर दिया।