हम अक्सर सुनते हैं कि काम अपने तरीके से करो तो ही सुख मिलती है। इसमें कुछ सच्चाई नहीं है। ऐसी मानसिकता से केवल ख़ालीपन, चिंता और दिल दुखाता है।
खालीपन भरने के लिए भोग विलास में पड़े लोगों के विषय में कवि डब्लू एच ऑदेन लिखते हैं: “अँधेरे के डर से भटके लोग / जो न खुश न भले हैं।”
हमारे डर और दुख के उपाय में भजनकार गाता है, “मैं यहोवा के पास…। ” (भजन संहिता 34:4)। सुख कार्य को परमेश्वर के तरीके में करने से मिलती है, इस तथ्य की पुष्टि हर दिन की जा सकती है। “जिन्होंने उसकी ओर…(पद 5);”I इसे आजमाने पर हम जानेंगे कि उनके कहने का यही अर्थ था कि “परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है!”(पद 8)।
हम कहते हैं, “देखना विश्वास है।” देखकर हम इस दुनिया के बारे में जानते हैं। प्रमाण दो और मैं विश्वास करूंगा। इसे परमेश्वर दूसरी तरह से कहते हैं, विश्वास करना देखना है “परखो और फिर तुम देखोगे।”
प्रभु के वचन पर विश्वास करो। वह करो जो परमेश्वर आप से करने को कह रहे हैं और आप देखेंगे कि वह सही करने का आपको अनुग्रह और उससे भी बढ़कर स्वयं को–जो सब भलाई का एकमात्र स्रोत हैं-दे देंगे और साथ ही चिरस्थाई सुख भी।
वही करने में ही सुख होता है जो सही है।