मंच से गाड़ने की प्रार्थना करते हुए मैंने पीतल की पट्टिका पर यूहन्ना 12:21 लिखा देखा: “श्रीमान् हम यीशु…। मैंने सोचा कि जिस स्त्री के जीवन का समारोह हम आंसुओं और मुस्कुराहटों के साथ मना रहे थे उसमें हमने यीशु को कैसे देखा था? यद्यपि उसका जीवन चुनौतियों और निराशाओं से भरा था, उसने मसीही विश्वास कभी नहीं छोड़ा। उसमें परमेश्वर की आत्मा होने के कारण, हम उसमें यीशु को देख सकते थे।

यूहन्ना में यीशु के सवारी पर यरूशलेम पहुचने के उपरांत (12:12-16) कुछ यूनानियों ने फिलिपुस से कहा, “श्रीमान, हम यीशु…” (21) उनकी उत्सुकता का कारण कदाचित यीशु के चंगाई और अश्चार्य्कर्म थे, परन्तु यहूदी न होने के कारण, उन्हें भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। जब यीशु को बताया गया तो उन्होंने कहा कि उनके महिमावंत होने का समय आ गया है (23)। अर्थात बहुतों के पापों के लिए वह मरेंगे। न केवल यहूदियों, परन्तु अन्यजातियों (20 पद में “यूनानियों”) के लिए अपने मिशन को पूरा करेंगे, और फिर वे भी यीशु से भेंट कर सकेंगे।

मरणोपरांत, यीशु ने पवित्र आत्मा भेजी कि वह चेलों के साथ रहे (14:16-17)। इसलिए यीशु से प्रेम और उनकी सेवा करने पर हम उन्हें अपने जीवन में सक्रिय देख सकते हैं। और अद्भुत रूप से अन्य लोग हममें यीशु को देख सकते हैं!