हमारी कलीसिया में परमेश्वर के कार्यों की समीक्षा के बाद, अगुओं ने समुदाय की बेहतर सेवा के लिए एक जिम निर्माण का प्रस्ताव रखा। अगुओं ने निर्माण राशी पहले देने की प्रतिज्ञा की। मेरे पति और मैं इस प्रोजेक्ट के लिए प्रार्थना करने लगे। परमेश्वर निरंतर हमारी ज़रूरतों को पूरा करते आए हैं इस पर विचार कर हमने प्रत्येक माह भेंट देने का निर्णय किया। कलीसिया के भेंट देने द्वारा पूरी इमारत का भुगतान चुकता हो गया।
जिम का उपयोग सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए होते देख मैं परमेश्वर का आभार मानती हूं। मुझे एक और उदार दानी-राजा दाऊद का स्मरण आता है।mयद्यपि परमेश्वर ने उसे अपना मंदिर बनाने के लिए नहीं चुना था, तौभी दाऊद ने अपने सभी संसाधन मंदिर निर्माण के कार्य मे लगा दिए (1 इतिहास 29:1-5) I अगुओं और अन्य लोगों ने भी उदारता पूर्वक दिया (6-9)। राजा ने स्वीकार किया कि उन्हें देने वाला पहले परमेश्वर ही था-सृष्टिकर्ता, पालनहार, और हर वस्तु का स्वामी (पद 10-16)।
परमेश्वर सब वस्तुओं के स्वामी हैं, यह जानकर हम दूसरों के लाभ के लिए आभार और उदारता से दान दे सकते हैं। और हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी आवश्यकता को पूरा-और हमारी मदद हेतु दूसरों का उदारता पूर्वक प्रयोग भी कर सकते हैं।
देने वाले पहले परमेश्वर होते हैं, और वह सर्वदा अपने सबसे उदार दानियों से बढ़कर देते हैं।