मुझे बचपन में स्थानीय छोटा पुस्तकालय जाना पसंद था l एक दिन, पुस्तकों के नवयुवक भाग को देखते हुए मैंने महसूस किया कि मैं लगभग सभी पुस्तक पढ़ सकती हूँ l अपनी उत्सुकता में मैं एक सच्चाई भूल गयी कि नयी पुस्तकें निरंतर पुस्तकालय में जुड़ती रहती थीं l मेरे साहस करने के बावजूद भी पुस्तकें बहुत अधिक थीं l

नयी पुस्तकें निरंतर पुस्तक की आलमारियाँ भर्ती रहती हैं l प्रेरित यूहन्ना नए नियम की अपनी पाँच पुस्तक- यूहन्ना का सुसमाचार; 1, 2, 3 यूहन्ना और प्रकाशितवाक्य जो हाथ से लिपटे हुए चर्म पत्रों पर लिखे गए गए थे को देखकर अवश्य ही वर्तमान में पुस्तकों की उपलब्धता से चकित हुआ होता l

यूहन्ना ने पवित्र आत्मा से विवश होकर यीशु का जीवन व सेवा का आखों देखा हाल मसीहियों को लिखा (1 यूहन्ना 1:1-4) l किन्तु यीशु के कार्य और शिक्षा का एक अंश मात्र ही यूहन्ना के लेखों में है l वास्तव में, यूहन्ना कहता है, यदि यीशु के समस्त कार्य लिखे जाते तो “वे संसार में भी न समातीं” (यूहन्ना 21:25) l

यूहन्ना का दावा वर्तमान में भी सच है l यीशु के विषय जितनी भी पुस्तकें लिखीं गयी हैं, के  बाद भी, संसार के पुस्तकालय उसके प्रेम और अनुग्रह की कहानियाँ अपने में समा नहीं सकती हैं l हम इस बात का भी उत्सव मना सकते हैं कि हमारे पास भी बाँटने और आनन्दित होने के लिए व्यक्तिगत कहानियाँ हैं जो हम निरंतर बताते रहेंगे (भजन 89:1)!