बचाए गए एक चील/गरुड़(Bald Eagle) को देखकर हमारे नाती-पोते भावविभोर हो उठे l वे उसे स्पर्श भी कर सके l चिड़ियाघर के स्वयंसेविका ने बाँह पर बैठाए उस शक्तिशाली पक्षी के विषय बताया कि इस नर पक्षी के पंखों का फैलाव साढ़े छह फीट है, फिर भी खोखली हड्डियों के कारण उनका वजन केवल आठ पौंड है l यह सुनकर मैं चकित हुआ l
उपरोक्त बात से मैंने एक गरुड़ को याद किया जिसे मैंने झील के ऊपर उड़ते देखा था और जो गति से नीचे आकर शिकार को अपने चंगुल में लेनेवाला था l और मैंने कल्पना किया कि लम्बे टांगों वाला एक बगुला एक तालाब के किनारे स्थिर खड़ा हुआ अपनी लम्बी चोंच से जल के अन्दर शिकार करने को तैयार है l हमारे सृष्टिकर्ता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करनेवाले लगभग 10,000 प्रजातियों में से ये केवल दो ही हैं l
अय्यूब की पुस्तक में, अय्यूब के मित्र उसके दुःख के कारण पर तर्क-वितर्क करते हुए पूछते हैं, “क्या तू परमेश्वर का गूढ़ भेद पा सकता है?” (देखें 11:5-9) l प्रतिउत्तर देते हुए अय्यूब स्पष्ट करता है, “पशुओं से तो पूछ और वे तुझे सिखाएँगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बताएँगे” (अय्यूब 12:7) l परमेश्वर की अभिकल्पना, देखभाल, और सृष्टि पर नियंत्रण की सच्चाई को पशु सत्यापित करते हैं : “उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है” (पद.10) l
क्योंकि परमेश्वर पक्षियों की देखभाल करता है (मत्ती 6:26; 10:29), हम भी आश्वास्त हैं कि वह आपसे और मुझसे प्रेम करता है और हमारी देखभाल करता है, उस समय भी जब हम अपनी परिस्थितियों को नहीं समझते हैं l चारोंओर देखें और उससे सीखें l
परमेश्वर का संसार हमें उसके विषय सिखाता है l