मेक्सिको की खाड़ी में अपने मित्रों के साथ तैरती हुयी, कैत्लिन का एक शार्क से सामना हुआ, जो उसके पैरों पर झपटकर उसे खींचने लगा l कैत्लिन ने जवाबी हमले में शार्क के नाक पर एक जोर का घूँसा मारा l हिंसक शार्क हारकर उसके पाँवों को छोड़कर चला गया l यद्यपि उसके काटने के कारण उसे 100 से अधिक टाँके लगे, शार्क कैत्लिन को अपने पकड़ में नहीं ले सका l
यह कहानी मुझे यह सच्चाई याद दिलाती है कि यीशु ने मृत्यु पर वार करके, उसके अनुयायियों को डराने और उन्हें पराजित करने की उसकी शक्ति समाप्त कर दी l पतरस के अनुसार, “क्योंकि मृत्यु के वश में रहना उसके लिए असम्भव था” (प्रेरितों 2:24) l
पतरस ने यरूशलेम में एक भीड़ से यह शब्द कहे l शायद उनमें से कईयों ने यीशु को दण्डित करने के लिए चिल्लाए होंगे, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए” (मत्ती 27:22) l परिणामस्वरूप, रोमी सैनिकों ने उसे मरने तक क्रूस पर टंगा हुआ रखा l परमेश्वर द्वारा यीशु को जिलाए जाने तक उसका शरीर तीन दिनों तक कब्र में रखा रहा l उसके पुनरुत्थान के बाद, पतरस और अन्य लोग उससे बात और उसके साथ भोजन किया, और चालीस दिनों के बाद वह स्वर्ग पर उठा लिया गया (प्रेरितों 1:9) l
पृथ्वी पर यीशु का जीवन शारीरिक दुःख और मानसिक पीड़ा के मध्य बीता, इसके बावजूद परमेश्वर की सामर्थ्य ने कब्र को पराजित कर दिया l इसके कारण, मृत्यु या कोई और संघर्ष/पीड़ा हमें सर्वदा अपने पकड़ में नहीं रख सकती l एक दिन सभी विश्वासी परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत जीवन और परिपूर्णता का अनुभव करेंगे l उस भविष्य पर केन्द्रित होकर हम वर्तमान में स्वतंत्रता का अनुभव कर सकते हैं l
कब्र की पकड़ परमेश्वर की सामर्थ्य की बराबरी नहीं कर सकती l