मेरे पास शरद ऋतु की एक खूबसूरत तस्वीर है जिसमें कोलोराडो पहाड़ों पर एक युवा घोड़े पर बैठा हुआ सोच रहा है आगे कौन सा मार्ग चुनना है l यह मुझे रोबर्ट फ्रॉस्ट की कविता “द रोड नॉट टेकेन” (The Road Not Taken) की याद दिलाता है l उसमें फ्रॉस्ट अपने आगे दो मार्गों पर विचार करता है l दोनों लुभावने हैं, किन्तु उसे शक है वह पुनः इस स्थान पर लौटेगा, और उसे एक मार्ग चुनना होगा l फ्रॉस्ट लिखते हैं, “दो मार्ग भिन्न दिशाओं में जंगल में जाते हैं, और मैंने, हाँ मैंने उस मार्ग का चुनाव किया जिसपर कम लोग चलते हैं, और इस चुनाव ने सम्पूर्ण परिवर्तन ला दिया l”

यीशु के पहाड़ी उपदेश में (मत्ती 5-7), प्रभु ने अपने सुननेवालों से कहा, “सकेत मार्ग से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचता है; और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं l क्योंकि सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचता है; और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं” (7:13-14) l

जीवन की हमारी यात्रा में, किस मार्ग पर चलना है के विषय हमारे पास अनेक चुनाव होते है l बहुत से मार्ग भरोसा देनेवाले और आकर्षक होते हैं किन्तु जीवन का मार्ग केवल एक ही है l यीशु हमसे परमेश्वर के वचन के प्रति शिष्यता और आज्ञाकारिता का मार्ग चुनने को कहता है अर्थात् भीड़ की अपेक्षा उसका अनुसरण करना l

जब हम आगे के मार्ग पर विचार करते हैं, परमेश्वर हमें उसके मार्ग पर अर्थात् जीवन के मार्ग पर चलने में बुद्धिमत्ता और साहस दे l यह हमारे लिए और जिनसे हम प्रेम करते हैं उनके लिए सम्पूर्ण बदलाव लेकर आएगा l