मेरे माता-पिता ने मुझे सभी प्रकार का संगीत पसंद करना सिखाया-देसी से लेकर शास्त्रीय संगीत तक l इसलिए जब मैं मास्को राष्ट्रीय सिम्फनी(सम स्वरता) सुनने के लिए रूस के एक सबसे बड़े संगीत हॉल, मास्को कन्सरवेटरी(रक्षा गृह) में गया मेरा हृदय गति से धड़कने लगा l जब संचालक ने संगीतकारों को कुशल काइकोफस्की(प्रसिद्ध रुसी गीतकार एवं संगीतकार) अंश बजाने को कहा, धुन विकसित होकर धीरे-धीरे एक प्रबल अर्थात् एक गहन/प्रगाढ़ और नाटकीय संगीत उत्कर्ष में बदल गया l
वचन इतिहास के सबसे प्रबल उत्कर्ष की ओर बढ़ता है : यीशु मसीह का क्रूस और उसका पुनरुत्थान l अदन के बगीचे में आदम और हव्वा के पाप में गिर जाने के बाद, परमेश्वर ने एक उद्धारकर्ता के आने की प्रतिज्ञा दी (उत्पति 3:15)), और पूरा पुराना नियम में यह मुख्य विषय आगे बढ़ता गया l यह प्रतिज्ञा फसह के मेमने में (निर्गमन 12:21), नबियों की आशा में (1 पतरस 1:10), और परमेश्वर के लोगों की चाहतों में गुंजायमान हुयी l
1 यूहन्ना 4:14 उस कहानी के लक्ष्य को प्रमाणित करता है : “हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता करके भेजा है l” कैसे? परमेश्वर ने अपने टूटे संसार के लिए अपनी बचाव प्रतिज्ञा को पूरा किया जब यीशु हमें क्षमा देने के लिए और हमारे सृष्टिकर्ता के साथ हमारे सम्बन्ध को पुनःस्थापित करने के लिए मृत्यु सहा और जी उठा l और एक दिन वह पुनः वापस आएगा और अपने सम्पूर्ण सृष्टि को पुनःस्थापित कर देगा l
जब हम हमारे लिए परमेश्वर पुत्र का कार्य याद करते हैं, हम परमेश्वर का अनुग्रह अर्थात् यीशु का महान उत्कर्ष और अपने लिए और उसके संसार के लिए बचाव का उत्सव मानते हैं l
यीशु उपहार है, उत्सव मनाएँ l