जब केमिल और जोएले को पता चला कि उनकी आठ वर्षीय बेटी, रीमा को असाधारण कैंसर (leukemia) हो गया है, वे पूरी तौर से टूट गए l इस बिमारी के कारण उसे मस्तिष्क ज्वर(meningitis) हो गया और एक दौरा पड़ा, और रीमा अचेतन अवस्था(coma) में चली गयी l हॉस्पिटल की मेडिकल टीम ने उसके माता-पिता से रीमा के जीवित रहने की हर आशा छोड़कर उसका अंतिम संस्कार करने की तैयारी करने को कहा l
केमिल और जोएले ने आश्चर्यकर्म के लिए उपवास और प्रार्थना की l केमिल ने कहा, “प्रार्थना करते समय, हमें हर स्थिति में परमेश्वर पर भरोसा रखना होगा l और अपना तरीका नहीं बल्कि यीशु की तरह प्रार्थना करें, पिता, किन्तु तेरी इच्छा l” “किन्तु मैं पूरी तौर से चाहता हूँ कि परमेश्वर उसको चंगा कर दे!” जोएले ने इमानदारी से उत्तर दिया l “हाँ! और हमें माँगना चाहिए!” केमिल ने प्रतिउत्तर दिया l “कठिन समय में खुद को परमेश्वर को सौंपने से उसे आदर मिलता है, क्योंकि यीशु ने भी ऐसा ही किया l”
क्रूस पर जाने से पहले, यीशु ने प्रार्थना की : “हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो” (लूका 22:42) l “इस कटोरे को हटा दे,” इस प्रकार प्रार्थना करने से यीशु ने क्रूस पर नहीं जाने की विनती की, किन्तु उसने प्रेम में खुद को पिता के सामने समर्पित कर दिया l
अपनी इच्छाओं को परमेश्वर को समर्पित करना सरल नहीं है, और चुनौतीपूर्ण पलों में उसकी बुद्धिमत्ता को समझना कठिन हो सकता है l केमिल और जोएले की प्रार्थना अद्भुत रीति से सुनी गयी – रीमा आज पंद्रह वर्ष की स्वस्थ बेटी है l
यीशु प्रत्येक संघर्ष को समझता है l उस समय भी, जब हमारे लिए, उसकी विनती सुनी नहीं गयी, उसने हर एक ज़रूरत के लिए अपने परमेश्वर पर भरोसा रखना दिखा दिया l
परमेश्वर हमेशा हमारे समर्पण और प्रशंसा के योग्य है l