साहसी कदम
दूसरे विश्व युद्ध के आरम्भ में टेरेसा प्रेकेरोवा किशोर ही थी जब नाज़ी लोगों ने उसके देश पोलैंड पर हमला किए l यह सर्वनाश[holocaust] के आरम्भ में था जब नाज़ी लोग उसके यहूदी पड़ोसियों को गिरफ्तार करने लगे और वे गायब होने लगे l इसलिए टेरेसा और पोलैंड के अन्य नागरिकों ने अपने जीवनों को दाँव पर लगाकर उन पड़ोसियों को वॉरसॉ यहूदी बस्तियों और नाज़ी लोगों के शोधन/क़त्ल[purge] से बचाया l टेरेसा युद्ध और सर्वनाश [holocaust] की प्रमुख इतिहासकार हो सकती थी, किन्तु यह तो उसका साहस ही था जिसके कारण वह उस बुराई की लहरों के विरुद्ध खड़ी रह सकी और जिसने उसे यरुशलेम में याड वशेम होलोकोस्ट मेमोरियल[Yad Vashem Holocaust memorial] में राईचस अमंग द नेशन्स[Righteous Among the Nations]की सूची में पहुँचा दिया l
बुराई के विरुद्ध खड़े रहने के लिए साहस की ज़रूरत है l पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया से कहा, “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और माँस से नहीं परन्तु प्रधानों से, और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं” (इफिसियों 6:12) l स्पष्ट रूप से यह अदृश्य विरुद्धता हममें से किसी के लिए सहन से बाहर है, इसलिए परमेश्वर ने हमें “शैतान की युक्तियों के सामने खड़े” (पद.11) रहने हेतु सक्षम बनाने के लिए ज़रूरी आत्मिक संसाधन दिए हैं अर्थात् (परमेश्वर के सारे हथियार) l
उस साहसी कदम में क्या कुछ शामिल हो सकता है? यह अन्याय के विरुद्ध कार्य करना या किसी परिचित निर्बल या शोषित व्यक्ति के पक्ष में खड़े रहकर उसकी मदद करना हो सकता है l चाहे किसी प्रकार का संघर्ष हो, हम साहसी हो सकते हैं-हमारे परमेश्वर ने पहले से ही हमें उसके लिए और बुराई के विरुद्ध खड़े रहने का संसाधन दिया है l
सहायता की माँग
एक लम्बे दिन के अंत में उसका ई-मेल मिला l सच में, मैंने उसे नहीं पढ़ा l मैं अतिरिक्त समय लेकर एक परिवार के सदस्य की गंभीर बिमारी में उसकी सहायता कर रही थी l इसलिए सामाजिक ध्यान भटकाव के लिए मेरे पास समय नहीं था l
अगली सुबह, हालाँकि, मैंने सहेली का ई-मेल पढ़ा : “क्या मैं किसी प्रकार तुम्हारी सहायता कर सकती हूँ?” शर्मिंदा होकर, मैं नहीं कहना चाही l उसके बाद एक सम्बी साँस लेकर ठहर गयी l मैंने ध्यान दिया कि उसका प्रश्न दिव्य भले ही न हो किन्तु परिचित था l
इसलिए कि यीशु ने पूछा था l यरीहो के मार्ग पर, पुकार रहे एक अंधे भिखारी की आवाज़ सुनकर, यीशु रूककर उस व्यक्ति, बर्तिमाई से उसी तरह का प्रश्न पूछा l क्या मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ? या जिस प्रकार यीशु ने कहा था, , “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?” (मरकुस 10:51) l
यह प्रश्न चकित करनेवाला है l यह प्रगट करता है कि चंगाई देनेवाला, यीशु हमारी मदद करना चाहता है l किन्तु सर्वप्रथम, हमें अपनी ज़रूरत दर्शाना होगा अर्थात् दीन कदम उठाना होगा l वह “पेशेवर” भिखारी आवश्यक्तामंद था, वास्तव में गरीब, अकेला, और संभवतः भूखा और त्यागा हुआ l किन्तु नया जीवन पाने की इच्छा से, उसने सरलता से अपनी मूल ज़रूरत यीशु को बता दी l “रबी,” उसने कहा, “यह कि मैं देखने लगूं l”
एक अंधे के लिए यह एक ईमानदार निवेदन था l यीशु ने उसे तुरंत ठीक कर दिया l मेरी सहेली मुझसे ऐसी ही ईमानदारी चाहती थी l इसलिए मैंने उससे वादा किया कि मैं अपनी मूल ज़रूरत समझने के लिए प्रार्थना करुँगी, और इससे भी महत्वपूर्ण, कि मैं दीनता पूर्वक उसे बताऊंगी l क्या आप अपनी मूल आवश्यकता जानते हैं? जब आपका मित्र आपसे पूछे, तो उसे बता दीजिए l तब उसके बाद अपना निवेदन और भी ऊँचे पायदान पर ले जाइए l परमेश्वर को बता दीजिए l
परमेश्वर की लुकटी
एक घबरायी हुयी सेविका सबसे छोटे बच्चों को जलते हुए घर से निकालकर बाहर भागी l निकलते समय उसने पाँच वर्ष के जैकी को उसके पीछे आने के लिए आवाज़ लगायी l
किन्तु जैकी पीछे से नहीं आया l बाहर, अपने मित्र के कंधे पर सवार एक तमाशाई ने शीघ्रता से प्रतिक्रिया किया l उसने ऊपर की खिड़की तक पहुँचकर, छत गिरने से पहले, जैकी को सुरक्षित बचा लिया l उसकी माँ सुसन्ना बोली, “छोटा जैकी “आग से निकाली हुयी [ब्रांड] लुकटी है l” आप को यह मालूम हो कि वह “ब्रांड” चलता फिरता प्रचारक जॉन वेस्ली था (1703-1791) l
सुसन्ना वेस्ली जकर्याह का सन्दर्भ दे रही थी, ऐसा नबी जिसने परमेश्वर के चरित्र पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान किया l वह नबी प्राप्त एक दर्शन का वर्णन करते हुए, हमें एक न्याय कक्ष के दृश्य में ले चलता है जहाँ शैतान महायाजक यहोशू के निकट खड़ा है (3:1) l शैतान यहोशू पर आरोप लगाता है, किन्तु प्रभु शैतान को डांटते हुए कहता है, “क्या यह आग से निकाली हुयी [ब्रांड] लुकटी सी नहीं है?” (पद.2) l प्रभु यहोशू से कहते हैं, “मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूँ” (पद.4) l
उसके बाद प्रभु ने यहोशू को यह चुनौती दी और एक अवसर भी : “यदि तू मेरे मार्गों पर चले, और जो कुछ मैं ने तुझे सौंप दिया है उसकी रक्षा करे, तो तू मेरे भवन का न्यायी और मेरे आंगनों का रक्षक होगा” (पद.4) l
यह यीशु में हमारे विश्वास द्वारा परमेश्वर से प्राप्त वरदान का कितना सुन्दर तस्वीर है! वह हमें आग से खींच कर बाहर निकालकर, शुद्ध करता है और जब हम पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं, वह हमारे अन्दर काम करता है l आप हमें आग से निकाले हुए परमेश्वर का ब्राण्ड संबोधित कर सकते हैं l
हमारे मित्रों के लिए
एमिली ब्रोंट के उपन्यास वुथरिंग हाइट्स(Wuthering Heights) में, एक चिड़चिड़ा व्यक्ति जो अक्सर दूसरों की आलोचना करने के लिए बाइबल का सन्दर्भ देता था, उसे यादगार ढंग से “सबसे उबाऊ स्व-धर्मी फरीसी बताया गया है जिसने कभी खुद पर लागू करने और अपने पड़ोसियों को श्रापित करने के लिए बाइबल को लूटा हो l”
यह एक हास्य पंक्ति है; और खास लोगों की याद दिला सकता है l लेकिन क्या हम सब कुछ इस तरह के नहीं है-खुद की असफलताओं के लिए बहाने बनाते हुए दूसरों की आलोचना करने के लिए तैयार रहते हैं?
वचन में कुछ लोगों ने आश्चर्यजनक रूप से ठीक इसके विपरीत किया; उन्होंने उनके लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं से खुद को वंचित करने और दूसरों को बचाने के लिए श्रापित होना स्वीकार्य किया l मूसा पर विचार करें, जिसने इस्राएलियों को क्षमा दिलाने के लिए परमेश्वर के पुस्तक से अपना नाम भी हटवाने के लिए तैयार था (निर्गमन 32:32) l अथवा पौलुस, जिसने कहा कि मैं यहाँ तक चाहता हूँ कि मैं स्वयं ही मसीह से शापित हो [जाऊं] “यदि इसके परिणामस्वरुप उसके लोग परमेश्वर को जान जाएँ” (रोमियों 9:3) l
स्व-धर्मी जो हम स्वाभाविक रूप से हैं भी, वचन खुद से अधिक दूसरों को प्रेम करनेवालों को चिन्हांकित करता है l
क्योंकि आख़िरकार ऐसा प्रेम यीशु की ओर इशारा करता है l यीशु ने कहा, “इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) l इससे पहले कि हम यीशु को जानते, उसने “अंत तक” (13:1) हमसे प्रेम किया-हमें जीवन देने के लिए मृत्यु का चुनाव किया l
अब हमें प्रेम करने और ऐसा ही प्रेम पाने के लिए परमेश्वर के परिवार में आमंत्रित किया गया है (15:9-12) l और जब हम मसीह के अकल्पनीय प्रेम को दूसरों में उंडेलेंगे, संसार उसका झलक पाएगा l